आयब अपनो सभ सौराठ सभाके काल यौ,
मैथिल विद्वानक गाम यौ ना!
फेरो लगतैय एहिठाम मेला,
बनतैय मिथिला नव-नवेला,
आयब एकबेर एहि पावन भूमि बाबाधाम यौ,
मैथिल विद्वानक गाम यौ ना!
बनतैय वैह सुनर देव-मन्दिर,
फेरो आयत भूदेवक भीड़,
बनतै सुन्दर जोड़ी मिथिलाके महान् यौ,
मैथिल विद्वानक गाम यौ ना!
देखियौ केना डेराइ छै दुर्जन,
लगबैय दोख दहेजक दुश्मन,
लेकिन आब हेतय दहेज मुक्त विवाह यौ,
मैथिल विद्वानक गाम यौ ना!
छलखिन बड़ दूरदर्शी बाबा,
लगौलनि एहिठाम सुनर इ भेला,
होइ कुटमैती देखि-देखी के खनदान यौ,
मैथिल विद्वानक गाम यौ ना!
आइ मिथिला जानि कते पाछू,
दुनिया में सभ बनलैय आगू,
बेटी पर अछि झूठ दहेजक लाद यौ,
मैथिल विद्वानक गाम यौ ना!
आउ मिलि शपथ लियऽ यौ भाइ सभ,
आयब जानि-बूझि एहि भू पर,
बनेबैय स्वच्छ-समृद्ध ओ सुन्दर धाम यौ,
मैथिल विद्वानक गाम यौ ना!
आयब अपनो सभ ....
प्रवीण नारायण चौधरी
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