सुचना: प्रिय मैथिल बंधूगन, किछ मैथिल बंधू द्वारा सोसिअल नेटवर्क (फेसबुक) पर एक चर्चा उठाओल गेल " यो मैथिल बंधूगन कहिया ई दहेजक महा जालसँ मिथिला मुक्त हेत ?" जकरा मैथिल बंधुगणक बहुत प्रतिसाद मिलल! तहीं सँ प्रेरीत भs कs आय इ जालवृतक निर्माण कएल गेल अछि! सभ मैथिल बंधू सँ अनुरोध अछि, जे इ जालवृत में जोर - शोर सँ भागली, आ सभ मिल सपथ ली जे बिना इ प्रथा के भगेना हम सभ दम नै लेब! जय मैथिली, जय मिथिला,जय मिथिलांचल!
नोट: यो मैथिल बंधुगन आओ सभ मिल एहि मंच पर चर्चा करी जे इ महाजाल सँ मिथिला कोना मुक्त हेत! जागु मैथिल जागु.. अपन विचार - विमर्श एहि जालवृत पर प्रकट करू! संगे हम सभ मैथिल नवयुवक आ नवयुवती सँ अनुरोध करब, जे अहि सबहक प्रयास एहि आन्दोलन के सफलता प्रदान करत! ताहीं लेल अपने सभ सबसँ आगा आओ आ अपन - अपन विचार - विमर्श एहि जालवृत पर राखू....

सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

दहेज मुक्त मिथिलाके निर्माण एवं मिथिलाके धरोहरके संरक्षण


मिले,
... श्रीमान्‌/श्रीमती/श्रीयुत्‌ ..................................................
पता: ................................................................................
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विषय: दहेज मुक्त मिथिलाके निर्माण एवं मिथिलाके धरोहरके संरक्षण

महोदय/महोदया,

उपरोक्त विषयमें अपने केँ सूचित करैत अपार हर्ष भऽ रहल अछि जे आजुक २१वीं शदीमें मिथिलाके युवा जनशक्ति जे आइ संसारके हर कोणमें पसरल छथि आ काफी प्रभावशाली योगदान दैत संसारके निर्माणमें व्यस्त छथि - हुनकहि जागृतिके इ सुखद परिणाम थीक जे ‘दहेज मुक्त मिथिला’ नामके एक संस्थाके निर्माण भेल अछि जेकर मुख्य उद्देश्य केवल एतेक जे मिथिलामें माँगरूपी दहेज के प्रथाके समाप्त कैल जाय - मिथिलाके बेटी ऊपर इ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दुनू रुपें अत्याचार थीक; प्रत्यक्ष एहि लेल जे संतान सभ बराबर होइछ, जहिना लोक बेटाके पढाबयलेल अग्रसर छथि, तहिना बेटीके लेल सेहो छथि - तखन दू रंगके व्यवहार जे बेटाके विवाहमें बेटीवाला के त्यागके कोनो गणना नहि करैत माँगरूपी दहेज के थोपल जैछ। अप्रत्यक्ष अत्याचार एहि लेल जे दहेज के व्यवहार के कारण बहुतो माता-पिता अपन कन्याके उच्च अध्ययन सऽ वञ्चित रखैत छथि आ एहि तरहें मिथिलामें प्रतिभा रहितो मैथिलपुत्री बहुत पछुवायल छथि। जतय आजुक महिला संसारके उच्चतम्‌ शिखर माउण्ट एवरेस्ट सऽ लऽ के, राष्ट्रकवच सेनामें एवं विज्ञानके युगमें प्रखर प्रदर्शन करैत संसारके आगू बढाबयमें हर क्षेत्रमें अगुआ भूमिका निर्वाह कय रहल छथि ततय मिथिलाके बेटीपर दहेज के एहेन प्रहार छैक जे एक निश्चित सीमा तक मात्र पढाइ करैत छथि। उच्च शिक्षाके लेल हतोत्साहित होइत छथि। केवल विवाह एवं वर हेतु चिन्तित रहैत दहेजके व्यवस्थामें लागल थाकल परेशान मैथिल असल ऐश्वर्यके, रिद्धि-सिद्धिके एवं समुचित विकासके बहुत पैघ बाधक बनल छथि। एहि प्रतिकूलताके विरुद्ध छेड़ल मौलिकताके लड़ाईमें अपनेक सहयोगकेर आकाँक्षा रखैत इ पत्र प्रेषित कय रहल छी जे हमरा लोकनिक कार्य-प्रणालीमें मिथिलाके धरोहर जे लगभग हर गाम - हर इलाका में कोनो ने कोनो रूपमें अवश्य मौजूद अछि ताहि ऊपर एकजूट बनैत संरक्षण के कार्य कैल जाय - एहि में अपनेक सहयोग के अपेक्षा रखैत छी।

वर्तमानमें हमरा लोकनि सौराठ सभाके पुनरुत्थान हेतु जन-जागरण अभियानमें अपनेक सहयोग के याचना करैत छी। एहि सभाके जे पौराणिक शुद्ध संस्करण छल ताहिके पुनर्जागरण करयमें, दहेज मुक्त विवाह हेतु एवं विद्वत्‌ सभा जाहिमें मिथिलाके विकास हेतु आम चर्चा-परिचर्चा सेहो होइ आ लोक एकताके सूत्रमें बँधैत नव-नव-निर्माणके कार्यमें संलिप्त होइथ - ताहि लेल सालमें एक बेर सौराठ सभागाछीके पुनः जगायल जाय। एकर जागृति लेल अपनेक सहभागिता के अपरिहार्य आवश्यकता बुझैछ। संगहि जे पौराणिक परंपरा वैवाहिक अधिकार निर्णय कराबय हेतु पंजिकार द्वारा विगत पुश्ताके बीच कोनो प्रकार के रक्त सम्बन्ध जाँच कराबैत कैल जैछ एकर परित्याग कदापि नहि करै जाइ। सिद्धान्त लिखाबैक परंपरा पर सेहो सभ मैथिल ब्राह्मण जाग्रत रहैथ।

जानकारी दी जे एहि बेर सौराठमें श्री श्री १०८ श्री माधवेश्वर नाथ महादेवके मन्दिर जेकर निर्माण दरभंगा राज द्वारा करायल गेल आ जे आइ अत्यंत उपेक्षित अबस्थामें अछि, एकर जीर्णोद्धार हेतु दहेज मुक्त मिथिला कटिबद्ध अछि। अपने लोकनि सँ निवेदन जे एहि शुभ कार्यमें अपन यथायोग्य सहयोग निम्न खातामें अवश्य पठाबी।

खाताधारकके नाम :-सौराठ सभा विकास समिति एवं दहेज मुक्त मिथिला
खाताधारक बैंकके पता :- रहिका, मधुबनी , बिहार
खाताधारक बैंकके नाम :- भारतीय स्टेट बैँक
खाता नं. :- 31742944456
आई. एफ. एस. सी. कोड:- SBIN0005897

धन्यवाद,

सदस्य,
दहेज मुक्त मिथिला, पंजी भवन,
सौराठ सभागाछी, मधुबनी।
फोन: 09661042056..09135462251 .09279343090

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गुरुवार, 22 सितंबर 2011

भाई रे अना नै परो

भाई रे अना नै परो,
दहेज़ मुक्त मिथिला चाही त,
दहेज़ मुक्त मैथिल बैन जो, 
भाई रे अना...............

जों ललचेवे टका तू लेवे,
जिनगी बनी जेतौ पनिसोह,
अपनों कनवे कनियो कनतौ,
ताई अंतरात्मा के नै जरो,
भाई रे अना.............

कनिया स वियाह कर मनिया(money) स नई,
मनिया नाचेताऊ कनिया साजेताऊ,
मनिया के मोह स अपना आप के बचो, 
कनिया के स्नेह में तोउ डूबी जो ,
भाई रे अना.............

जिनगी रहलौ त पाई बड कमेवे,अपनों उरेबे हमरो बजेबे,
जाऊ कियो कहतु ससुर वाला पाई छैन,तखन कहइ ककरा मुह देखेबे,
अखनो छऊ मोका आब त सुधईर जो,
कलर के ठार कर गीत गुण गुणों,
भाई रे अना............

बाबु के मोन छैन लाथ नई ई करइ,
एक गलती स जिनगी नई ई सरेइ,
तोहर जिनगी छऊ तू बाबू के बूझो,
उज्वल भविष्य के अपने नई सुतो,
भाई रे अना नै परो,
दहेज़ मुक्त मिथिला चाही त,
दहेज़ मुक्त मैथिल बैन जो, 
भाई रे अना...............

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सोमवार, 19 सितंबर 2011

दहेज मुक्ति के लिए मिथिलांचल में शुरू हुआ नया प्रयास( पवन झा)”अग्निवाण”


भारतीय संस्कृति के प्राचीन जनपदों में से एक राजा जनक की नगरी मिथिला का अतीत जितना स्वर्णिम था वर्तमान उतना ही विवर्ण है। देवभाषा संस्कृत की पीठस्थली मिथिलांचल में एक से बढ़कर एक संस्कृत के विद्वान हुए जिनकी विद्वता भारतीय इतिहास की धरोहर है। उपनिषद के रचयिता मुनि याज्ञवल्क्य, गौतम, कनाद, कपिल, कौशिक, वाचस्पति, महामह गोकुल वाचस्पति, विद्यापति, मंडन मिश्र, अयाची मिश्र, जैसे नाम इतिहास और संस्कृति के क्षेत्र में रवि की प्रखर तेज के समान आलोकित हैं। चंद्रा झा ने मैथिली में रामायण की रचना की। हिन्दू संस्कृति के संस्थापक आदिगुरु शंकराचार्य को भी मिथिला में मंडन मिश्र की विद्वान पत्नी भारती से पराजित होना पड़ा था। कहते हैं उस समय मिथिला में पनिहारिन से संस्कृत में वार्तालाप सुनकर शंकराचार्य आश्चर्यचकित हो गए थे।
कालांतर में हिन्दी व्याकरण के रचयिता पाणिनी , जयमंत मिश्र, महामहोपाध्याय मुकुन्द झा बक्शीमदन मोहन उपाध्याय, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर”, बैद्यनाथ मिश्र यात्रीअर्थात नागार्जुन, हरिमोहन झा, काशीकान्त मधुप, कालीकांत झा, फणीश्वर नाथ रेणु, बाबू गंगानाथ झा, डॉक्टर अमरनाथ झा, बुद्धिधारी सिंह दिनकर, पंडित जयकान्त झा, डॉक्टर सुभद्र झा, जैसे उच्च कोटि के विद्वान और साहित्यिक व्यक्तित्वों के चलते मिथिलांचल की ख्याति रही। आज भी राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त कतिपय लेखक, पत्रकार, कवि मिथिलांचल से संबन्धित हैं। मशहूर नवगीतकार डॉक्टर बुद्धिनाथ मिश्रा, कवयित्री अनामिका सहित समाचार चैनल तथा अखबारों में चर्चित पत्रकारों का बड़ा समूह इस क्षेत्र से संबंधित है। मगर इसका फायदा इस क्षेत्र को नहीं मिल पा रहा। राज्य और केंद्र सरकार द्वारा अनवरत उपेक्षा और स्थानीय लोगों की विकाशविमुख मानसिकता के चलते कभी देश का गौरव रहा यह क्षेत्र आज सहायता की भीख पर आश्रित है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्र होने के कारण प्रतिवर्ष यह क्षेत्र कोशी, गंडक, गंगा आदि नदियों का प्रकोप झेलता है। ऊपर से कर्मकांड के बोझ से दबा हुआ यह क्षेत्र चाहकर भी विकास की नयी अवधारणा को अपनाने में सफल नहीं हो पा रहा। जो लोग शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से सक्षम हैं भी वे आत्मकेंद्रित अधिक हैं इसीलिए उनका योगदान इस क्षेत्र के विकास में नगण्य है। मिथिलांचल से जो भी प्रबुद्धजन बाहर गए उन्होने कभी घूमकर इस क्षेत्र के विकास की ओर ध्यान नहीं दिया। पूरे देश और विश्व में मैथिल मिल जाएँगे मगर अपनी मातृभूमि के विकास की उन्हें अधिक चिंता नहीं है।
ऐसे में सामाजिक आंदोलन की जरूरत को देखते हुए स्थानीय और प्रवासी शिक्षित एवं आधुनिक विचारों के एक युवा समूह ने नए तरीके से मिथिलाञ्चल में अपनी उपस्थिती दर्ज़ कराई है। दहेज मुक्त मिथला के बैनर तले संगठित हुए इन युवाओं ने अपनी इस मुहिम का नाम दिया है दहेज मुक्त मिथिला
दहेज मुक्त मिथिलाजैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह एक ऐसा आंदोलन है जिसकी बुनियाद दहेज से मुक्ति के लिए रखी गयी है। बिहार के महत्वपूर्ण क्षेत्र मिथिलांचल से जुड़े और देश-विदेश में फैले शिक्षित और प्रगतिशील युवाओं के एक समूह ने मैथिल समाज से दहेज को खत्म करने के संकल्प के साथ इस आंदोलन की शुरुआत की है। सामंती सोच के मैथिल समाज में यूं तो इस आंदोलन को आगे बहुत सी मुश्किलों का सामना करना है मगर शुरुआती तौर पर इसे मिल रही सफलता से ऐसा लग रहा है कि मिथिलांचल के आम लोगों में दहेज के प्रति वितृष्णा का भाव घर कर गया है और वे इससे निजात पाना चाहते हैं।
दहेज मुक्त मिथिला के अध्यक्ष प्रवीण नारायण चौधरी कहते हैं कि मिथिलांचल में अतीत मे स्वयंवर की प्रथा थी जिसका प्रमाण मिथिला नरेश राजा जनक की कन्या सीता का स्वयंवर है। समय के साथ मिथिलांचल में भी शादी के मामले में विकृति आई और नारीप्रधान यह समाज पुरुषों की धनलिपसा का शिकार होता गया। कभी इस समाज में शादी में दहेज के नाम पर झूटका(ईंट का टुकड़ा) गिनकर दिया जाता था वहीं आज दहेज की रकम लाखों में पहुँच गयी है। दहेज के साथ बाराती की आवाभगत में जो रुपये खर्च होते हैं उसका आंकलन भी बदन को सिहरा देता है। जैसे- जैसे समाज में शिक्षा का प्रचार-प्रसार बढ़ा है दहेज की रकम बढ़ती गयी है।श्री चौधरी आगे कहते हाँ कि बड़ी बिडम्बना है कि लोग लड़कियों की शिक्षा पर हुई खर्च को स्वीकार करना भूल जाते हैं।
संस्था की उपाध्यक्षा श्रीमती करुणा झा कहती हैं कि मिथिलांचल की बिडम्बना यह रही है कि यहाँ नारी को शक्ति का प्रतीक मानकर सामाजिक तौर पर तो खूब मर्यादित किया गया पर परिवार में उसे अधिकारहीन रखा गया। उसका जीवन परिवार के पुरुषों की मर्ज़ी पर निर्भरशील हो गया। शादी की बात तो दूर संपत्ति में भी उसकी मर्ज़ी नहीं चली। इसीलिए दहेज का दानव यहाँ बढ़ता ही गया। लड़कियां पिता की पसंद के लड़के से ब्याही जाने को अभिशप्त रहीं। इसका असर यह हुआ कि बेमेल ब्याह होने लगे और समाज में लड़कियां घूंट-घूंट कर जीने-मरने को बिवश हो गईं।
इस मुहिम को मिथिलांचल के गाँव-गाँव में प्रचारित-प्रसारित करने हेतु आधुनिक संचार माध्यमों के साथ- साथ पारंपरिक उपायों का भी सहारा लिया जा रहा है। पूरे देश में फैले सदस्य अपने-अपने तरीके से इस मुहिम को प्रचारित कर रहे हैं।
एक समय मिथिलांचल में सौराठ सभा काफी लोकप्रिय था जहां विवाह योग्य युवक अपने परिवार के साथ उपस्थित होते थे और कन्या पक्ष वहाँ जाकर अपनी कन्या के लिए योग्य वर का चुनाव करते थे। यह प्रथा दरभंगा महाराज ने शुरू कारवाई थी। शुरुआती दिनों में संस्कृत के विद्वानों की मंडली शाश्त्रार्थ के लिए वहाँ जाती थी। राजा की उपस्थिति में शाश्त्रार्थ में हार-जीत का निर्णय होता था। यदि कोई युवा अपने से अधिक उम्र के विद्वान को पराजित करता था तो उस युवक के साथ पराजित विद्वान अपनी पुत्री की शादी करवा देता था । बाद में यह सभा बिना शाश्त्रार्थ के ही योग्य वर ढूँढने का जरिया बन गया। आधुनिक काल के लोगों ने इस सभा को नकार कर मिथिलांचल की अभिनव प्रथा को खत्म करने का काम किया।
संस्था के सलाहकार वरिष्ठ आयकर अधिकारी ओमप्रकाश झा कहते हैं की मिथिलांचल को अपनी पुरानी प्रथा के जरिये ही सुधार के रास्ते पर आना होगा। प्रतिवर्ष सौराठ सभा का आयोजन हो और लोग योग्य वर ढूँढने के लिए वहाँ आयें जिसमें पहली शर्त हो की दहेज की कोई बात नहीं होगी तो दहेज पर लगाम लगाना संभव हो सकता है। पहले भी सौराठ में दहेज प्रतिबंधित था। विवाह में बाराती की संख्या पर भी अंकुश लगाने की जरूरत है। संप्रति देखा जा रहा है कि मिथिललांचल में शादियों में बारातियों की संख्या और उनके खान-पान की फेहरिस्त बढ़ती ही जा रही है। गरीब तो दहेज से अधिक बारातियों की संख्या से डरता है।
बात सिर्फ आर्थिक लेन-देन तक सीमित हो तो भी कोई बात है। अब तो कन्या के साथ साज-ओ-सामान की जो फेहरिस्त प्रस्तुत की जाती है वह बड़ों-बड़ों के होश उड़ा देता है। उस पर भी आलम यह है कि अधिकतर लड़कियां विवाह के बाद दुखमय जीवन बिताने को मजबूर है क्योंकि स्थानीय स्तर पर कोई उद्योग नहीं है और परदेश में खर्च का जो आलम है वह किसी से छुपा नहीं है।
दहेज मुक्त मिथिलाआंदोलन के जरिये मैथिल समाज में सुधार की एक नयी धारा चलाने में जुटे लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती मैथिल समाज के उन लोगों से आएगी जो महानगरों में रहकर अच्छी नौकरी या व्यवसाय के जरिये आर्थिक रूप से समृद्ध हो चुके हैं और दहेज को अपनी सामाजिक हैसियत का पैमाना मानते हैं। ऐसे लोग निश्चित रूप से विकल्प की तलाश में इस आंदोलन को कुंद करने का प्रयास करेंगे जिसे सामूहिक सामाजिक प्रतिरोध के जरिये ही रोका और दबाया जा सकता है। कुछ राजनेता जो अपने को मैथिल समाज का मसीहा मानते हैं उनके लिए भी ऐसा आंदोलन रुचिकर नहीं है। पर वक़्त की जरूरत है कि यह क्षेत्र ऐसे आंदोलनों के जरिये अपने में सुधार लाये।

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शुक्रवार, 29 जुलाई 2011

दहेज मुक्त मिथिला के तरफ सँ विभिन्न नगरके -- कार्यकर्ता


दहेज मुक्त मिथिला के तरफ सँ विभिन्न नगरके जे चार्ज बहुतो जुड़ल सदस्य सभ लेने रही से अपन-अपन नेतृत्वमें किछु-किछु कार्यक्रम घोषणा करै जाइ। एहि सँ सभके संस्थाके वर्तमान प्रगति, सौराठके सफल आयोजन, पंजियन लेल बाकी काज, वर्तमान उद्देश्य आ आगामी दिल्ली कार्यक्रम एहि प्रमुख विन्दुपर सभके जानकारी सेहो दऽ देबैन आ संगहि सभके नैतिक जागरण करैत एहि... मूहिममें जुड़य लेल आग्रह करबनि। हम स्मरण कराबय लेल चाहब:

१. सोनु मिश्रा, पटना (आइ के दिनमें अहाँके कृष्णानन्दजी सेहो सहयोग करताह।)

२. राजु ठाकुर, मद्रास

३. अमित झा, बंगलौर

४. विकास झा, जमशेदपुर

५. अरविन्द झा, कलकत्ता (राघवेन्द्रजी सेहो सहयोग करताह।)

६. अभिषेक आनन्द, दिल्ली (राघवेन्द्रजी, संतोषजी, विभिन्न मित्र सभ सेहो सहयोग करताह।)

७. मदन ठाकुर,  नोएडा 

८. पंकज भाइ, मुंबई (जितमोहनजी आ संदीपजी सेहो सहयोग करताह - ओनाहू अहाँ पहिले सऽ निर्णय केनहिये छी जे कार्यक्रम करबैक।)

९. राकेश रौशन, वाराणसी (सहयोग के आकांक्षा रहलापर आरो कार्यकर्ता देल जा सकैत अछि।)

१०. चन्दन झा, रायपुर

११. प्रकाश भाइ, मधुबनी

१२. प्रवीण चौधरी, बिराटनगर (एवं अन्य - यथासंभव)

१३. पवन झा, जनकपुर

१४. देवेन्द्र मिश्र, राजबिराज

१५. धीरेन्द्र भाइजी, काठमाण्डु संग अन्यत्र

१६. अजित भाइजी, लेखक बीच एवं अन्यत्र

१७. कुञ्जबिहारी मिश्रजी, अपन प्रत्येक कार्यक्रम में

१८. सियाराम झा सरस, अपन कार्यक्रम में

१९. डा. देवेन्द्र झा, अपन कार्यक्रम में

२०. सत्यानन्द पाठक, गुवाहाटी

२१. संजय घोष, सिलिगुड़ी एवं भूटान

एतेक सदस्य एवं गणमान्य लोकनि जाहिमें बहुत गोटे स्वयं जिम्मेवारी लेने छी से हमरा स्मरण अछि - यदि किनको कोनो प्रकारके असुविधा होय तऽ जानकारी दी जाहि सँ वैकल्पिक व्यवस्था देखल जाय। किछु सदस्यके नाम हम बिसैर गेल होइ तऽ अपनहि जानकारी देब। संगहि बहुतो महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व सभ संग एखन सम्पर्कके सिलसिला चलिये रहल अछि। समय-समय पर जानकारी दैत रहब। सभ गोटे मिलिके यथार्थके धरातलपर दहेज मुक्त मिथिलाके अभियानके जोर-शोर सऽ चलाबी से आग्रह।

योजनानुसार मिथिलाके हर गाम में हमरा लोकनिक प्रवेश आ संगठन निर्माण सेहो छल जे पंजियन में देरी के कारण लटकल अछि। पंडित विश्वमोहन चन्द्र मिश्रजीके अध्यक्षतामें एक पंजिकार भ्रमण टोलीके गठन के बात सेहो छल जाहि लेल दिल्लीके कार्यक्रम उपरान्त आवश्यक पहल होइक से जानकारी देबय चाहब।

अपने लोकनि सँ आग्रहजे अपन विचार सेहो निरंतर दैत रहियौक।

जय मैथिली! जय मिथिला!!
हरिः ह!!

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बुधवार, 13 जुलाई 2011

दहेज़ के विरोध

 
मिथिला स दहेज़ हटाबू
 मिथिलानी के जान बचाबू
 हम सब करब मिथिला के फेर निर्माण
जाही में युवक करत अपन कल्याण
भेटत ओहने फेर सम्मान
... जीवन के छी जोर अनेक
 ओही में दहेज़ अछी राक्षस एक
एकरा मरू जूता चारी
दहेज नै फोरत फेर कपारी
जगु युवक करू मिथिला के सम्मान
नहीं त भात्काब एहिना आन थम
चालू एक बेर रंग देखाबू
मिथला महँ अछी एकरा अपन
बुद्रुक बुदृकिया के समझबू
जय  मिथिला जय  हिंद
आनंद झा

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शुक्रवार, 8 जुलाई 2011

एक पत्र मिथिलाके विद्वान्‌के नाम



आदरणीय शिवनाथ सर,------

        बहुत प्रसन्नता भेटल अपनेक फेशबुक पड़का प्रोफाइल देखि के!! अपनेक पुस्तक के माध्यम से आन्दोलनके बात पढला सऽ आरो जिज्ञासा जागल कि देखी एहेन महान्‌ शख्स जिनक आत्मविश्वास एतेक सार्थक कि पुस्तक सऽ आन्दोलन के बात करैत छथि... माँ सरस्वतीके कृपा अपने ऊपर बनल रहैन आ अपने अपन सोच आ अन्दाज दुनूमें कामयाब होइ इ प्रार्थना।
संगहि, हमरा लोकनि किछु युवा हालहि किछु मास पहिने सँ फेशबुकके पेजपर सऽ एक अति प्राचिन परंपरा जे आइ-काल्हि एकदम वीभत्स रूपमें मिथिला समाजके दीमक जेकां चटने जा रहल छैक - मिथिलामें सेहो आब सीताके जन्म लेबय सऽ पहिने ओहि धरामें दबाओल जा रहल छैक जेकर प्रभाव सऽ जनसंख्या २०११ प्रमाण स्वरूप कहि रहल अछि जे स्त्रीके संख्यामें घटाव भऽ रहल अछि। एकर प्रभाव एतबी हमरा अहाँ पर हावी अछि जे लोक अपन बेटीके पढाबैक इच्छा रखितो ओकर पढाई पर खर्च कम आ ओकरा नामके बैंक बैलेन्स बेसी बनाबैत छथि जाहि सँ विवाह कोनो नीक घरमें कराओल जा सकैक...! कतेक अनैतिक बात छैक - देखू, किछु गार्जियन बेटा आ बेटीमें कोनो फर्क बिना केने नीक सऽ नीक खर्च करैत बेटीके सेहो उच्चाधिकारी तक बनाबैत छथि, मुदा आब हिनक बेटीके लायक एक तऽ लड़का के कमी, दोसर जे यदि कोनो लड़का उच्चाधिकारी लड़की लायक भेटबो केलखिन तऽ आब ओहि त्यागी बापके लेल जे केओ जमाय बनथिन ओ व्यवस्थामें कतेक दहेज गनबेथिन आ ओ व्यवस्थाके कतय सऽ ओ बाप चुकेथिन... :(... तखन आब कि हेतैक... मजबूरीमें ओ उच्च शिक्षित बेटी अपन चुनाव स्वयं करती आ मिथिलाके बाहरो के लड़का बेसी संभव चुनि सकैत छथि जे पुनः मिथिलाके गरिमा के लेल एक चुनौती ठाड़्ह करत। हलांकि सीताजी सेहो राम संग वरण केलीह, लेकिन आबके सीता कतय ठहरती, मिथिलाके सम्मान सीताजी तऽ एहेन बना देलीह जे हमरा लोकनि गर्व करैत छी कि हुनकहि धरतीपर जन्म भेल... मुदा आजुक सीता तऽ शहर के मुँह देखिते देरी मैथिली तक बिसरि जैत छथि... कतेक दुःखद स्थिति छैक सर? सर! हमरा लोकनि आब केवल पुरनका सम्मानके भजा रहल छी, नव में हमर सभके अबस्था एहेन दरिद्री सऽ भरल रहत... कि इ नीक बात? सोची! अपने लोकनि एहि समाज के अग्रगामी निकास देनिहार व्यक्तित्व सभ थिकहुँ। यदि नहि किछु करब तऽ दोषी बनब। सभ संग किनारा कैल जा सकैछ, मुदा अपन आत्माके ज्ञान सदिखन हमरा लोकनिके कोसत।
सर! आब एहेन समय आबि गेलैक जे अपने लोकनि मिथिलाके राम मनोहर राय बनि एहि दहेजके दानव जे ताण्डव कय रहल अछि एकरा भगाउ आ ओ सुन्दर सौराठके परिकल्पना के पुनः जीवित करू। सौराठ एक नहि अनेक होइक आ मैथिल पुनः अपन गरिमाके रक्षार्थ एक बेर क्रान्ति के बिगूल बजाबैथ। हमर आग्रह!
दिल्लीमें एक कार्यक्रम रखने छी, २८ सेप्टेम्बर के! अपने दहेज मुक्त मिथिला नामक ग्रुप पर यदि नहि होइ तऽ आबी आ किछु समय हमरो लोकनिके पथ-प्रदर्शन करी, सेहो आग्रह!
अपनेक शुभेच्छूक,
प्रवीण चौधरी
कार्यकर्ता, दहेज मुक्त मिथिला
हरिः एव हरः!!

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मंगलवार, 5 जुलाई 2011

दिल्ली चलू! दिल्ली चलू!!

२८ सेप्टेम्बर, २०११ - नवरात्राके पहिल दिन - एक एहेन जयन्ती पारब जाहि सँ समस्त मैथिली-मिथिलाके कार्यरत संस्था जिनक उद्देश्य भाषा, संस्कृति एवं समग्र मिथिला भूमि के कल्याण हेतु छन्हि - सभके एक प्लेटफार्मपर जोड़ैत एक एहेन अपूर्व कार्यक्रम दहेज मुक्त मिथिलाके तरफ सँ आयोजन कैल जाय जाहि के माध्यम सँ आब २१वीं शताब्दीमे...ं बेटा आ बेटी एकसमान छथि आ जन्म सँ पहिले कन्या-भ्रूण-हत्याके घोर विरोध स्वरूप दहेजरूपी दानवके अपन परिष्कृत समाजसँ दूर भगाबय लेल एकजूट आह्वान करब - जेकर संवाद नहि सिर्फ मिथिला बल्कि समस्त भारत, नेपाल, भूटान संग विश्व समुदायमें शंखध्वनि जेतैक आ लोकलज्जाके रक्षा करैत बहुतो मिथिलाके संतान एवं समग्र जनमानसमें एहि कुप्रथाके अन्त करैक स्फूरणा जगतैक।

स्थान के निर्धारण अबैवाला समयमें - जुलाई के आखिरी तक करब।

कार्यक्रमके प्रारूप:

१. मिथिला झांकी प्रदर्शनी - नगर परिक्रमा संग शुरु करैत मैथिली वा मिथिला संग जुड़ल दिल्लीमें जे कोनो प्रतीकात्मक चिह्न अछि ताहि ठाम वा एक विद्यापति के मूर्ति अनावरण करैक योजना ऊपर सेहो निर्णय करैत हुनकहि प्रतिमाके माल्यार्पण करैत कार्यक्रमके उद्‍घोष-उद्‍घाटन करब। चूँकि दिल्लीमें विद्यापतिक एहेन कोनो प्रतिमा पहिले सँ स्थापित अछि वा नहि से हमरा जानकारी नहि अछि, ताहिलेल अपने लोकनि जे दिल्ली सँ छी से एहि विन्दुपर मन्थन करैत निर्णय करी से आग्रह।

२. मिथिला खानपान स्टॅल के उद्‍घाटन जाहिठाम मिथिलाके विशिष्ट परिकार - व्यञ्जन आदिके खूबसूरत प्रदर्शनी संग सहभागी समस्त मिथिलावासीके लेल एक विशेष उत्सवके अवसर। एहिलेल खानपान सामग्रीके प्रबन्ध सेहो कोनो मैथिल द्वारा होइक चाही। एहेन स्टॅलमें आयोजक द्वारा न्यूनतम सामग्री प्रायोजित होइक आ तेकर बाद व्यवसायिक दृष्टिकोण सँ सहभागिताके संभावित संख्याके अनुसार निजी व्यवसायीके ठेका देल जाय।

३. बाल-बालिकाके कला प्रस्तुति - बाल्य नाटक, नृत्य, चित्रकला (मिथिला पेन्टिंग), मिथिलालिपि लिखनिहार बच्चाके प्रोत्साहन आ एहेन अनेक विन्दु जे केवल आ केवल बच्चा सभमें मैथिलीप्रति झुकावके बरकरार राखैक।

४. विचार गोष्ठी - विद्वान्‌ विचारक, समाज सेवी, नेतृत्वकर्ता, मिथिला आइकान, प्रवासी मिथिलावासी एवं अन्य के समूचा भारत-नेपाल एवं संभव होय तऽ अन्य देश सँ सेहो सहभागी बनबैत दहेज एवं किछु अन्य महत्त्वपूर्ण मुद्दा जाहिमें मिथिलामें पर्यटनके विकास - मिथिलावासी स्वयं नव-मिथिलाके निर्माणकर्ता आदि राखल जाय।

५. सांस्कृतिक कार्यक्रम - नृत्य, संगीत, नाटक, आदि। समूचा दिल्लीके कलाकार जे मैथिली संग जुड़ल छथि आ तदोपरान्त आवश्यकता अनुसार बाहर सऽ कलाकार के सहभागिता कराओल जाय।

६. दिल्ली सम्मेलनके सारांश - दिल्ली उद्‍घोषणा पत्र के प्रकाशन आ कार्यक्रम समापन।

उपरोक्त प्रारूप ऊपर अपन टिप्पणी आ सुधारके लेल सुझाव लेल प्रार्थना।

प्रार्थी - प्रवीण

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एक नज़र सौराठ सभा...

सौराठ : एक परिचय एवम इतिहास

ग्यरह्नवी सदी मे जखन महोम्मद गजनी गुजरात के सोमनथ मन्दिर पर आक्रमन केल ओकरा लुटाइ ला ता ओतुक पन्डित जी सब जे कि मैथिल ब्राह्मण छेला ओ शिवलिन्ग के ला का भगला और ओकर ला का मधुबनी जिला ऎला और जे जगह ओकर स्थपित केला ओकरा सौराठ कहल जाइ छै कारन सोमनाथ सौराष्ट् मे अबै छै ।


किदवन्ति

किछ विद्वान के मानई छैथ जे कि अगर इ बात सच रहितै तखन बाद मे गुजरती सब ऎकर लाइ के प्रयास किया नै केला और ता और सौरठ के ओ सब अप्प्न धार्मिक स्थल नाइ मानला ।


मिथिला मे सभा गाछी के महत्व

अठारह्वी सदी के सुरु होइत देरी मुगल सब के प्रभाव खत्म भेनाइ सुरु भा गेल । मैथिल ब्राह्मण जे कि पिछ्ला किछ दिन स पतन देखला ओ सोचला जे कि किया नाइ इ जगह पर एक टा सभा काल जा , चुन्कि ओ सभा गाछी मे भेल तई दुआरे ओकरा सौराठ सभा गाछी कहल जाइ छै । ओइ मे मैथिल ब्राह्मण मे स विद्वान सब बैसै छेला और

शास्त्रर्थ करै छेला ।



सौराठ मे विवाह

पहिले के समय मे मैथिल ब्राह्मण मे लड्र्की के विवाह १७ स २० वर्ष मे करई के प्राब्धन रहाइ । सह दुआरे मैथिल सब सोचला कि इ मन्च के विवाह के मन्च के रुप मे सुरु काल जा ।


विवाह के तरीका

सौराठ मे लाड्र्का और लड्र्की के विवाह होइ छेलाइ लेकिन मैथिल परमपरा के रुप मे विवाह के चर्चा लड्र्का और लड्र्की के परिवार के बर बुजुर्ग करई छेला । बाद मे सौराठ मे कर्ण क्यास्थ के विवाह सेहो हेबा

लागल लेकिन फ़ेर ओ हेनाइ हाइट गेल और सिर्फ़ ब्राह्मण सब के विवाह हेबा लागल ।


सौराठ के पतन

सौराठ मे सुरु मे नीक एवम सुयोग्य लड्र्क और लड्र्की के विवाह होइ छेला लेकिन फ़ेर ओता दिक्कत अबा लागल । ओइ ठम बुड वर सब के विवाह हेबा लागल जे कि सबस बरका दिक्कत छै । अई सन्ग सन्ग ओता लुल्ह और लान्गर सब के विवाह सेहो हेबा लागल । ऎहेन विवाह बेसी नाइ टिकै छैल तै दुआरे सौराठ सभा गाछी विवाह के महात्वता खत्म भ गेल |

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मिथिला दहेज मुक्त कोना होयत ?

सामान्यतया घरमें जखन बेटी १८ वर्षके उम्र सँ गुजरि जैछ वा ताहू सऽ बेसी (यदा-कदा कमो...) होवय लगैछ तऽ एक अत्यन्त यथार्थ सोच सभके मस्तिष्क में आबय लगैछ जे आब बेटीके लेल योग्य घर ओ वरके चुनाव करैत कन्यादान करबाक अछि। तहु सऽ पहिने घरमें बेटीके माय बेटीके पिताके खखोरय लगैत छथिन जे हे आबो यदि कतहु बुच्चीलेल सुयोग्...य वरके नहि खोजब तऽ कहिया खोजब... आ एहि प्रकारें शुरु होइछ तकैया। कुटुम्ब आ सम्बन्धीके संग होवय लगैछ वार्तालाप जे कनेक बुचिया लेल कोनो घर-वर देखबैक। ताही क्रममें कोनो योग्य घर-वरके सुझाव आदि सेहो भेटैछ आ चलय लगैछ माथा-पच्ची।

एक बात करू अहाँ गौर यदि,
घरके छथि बनल बोझ बेटी??

प्रकृतिके विडंबना नहि तऽ कि,
पराया घरके लेल बनली बेटी!! :(

खैर - विडंबना सही, लेकिन भार अवश्य बेटी बनैछ अपन जन्म देनिहारि माय-बाप-परिजन पर - अन्य भार नहियो तऽ एतबी जे कोन घर-वर भेटत हिनका लेल। केना के व्यवस्था गानब, केना कि हेतैक, कतेक खर्च करब, केहेन लड़का चाही, अनेको प्रश्न उठैछ हिनक मस्तिष्क में। उद्वेलित हृदय माय-बाप के लेल कोन सहायता बेटी कय सकैत छथि आखिर? ओहो कसमकस में अपन जीवन संगीके लेल सपना देखैत गुमशुम अपन माय-बाप-परिजनके हुनका सदाके लेल पराया बनबैक योजना बनबैत कखनहु नुका के तऽ कखन देवालमें कान सटाय के तऽ कखनहु कोना आ कखनहु कोना... बस अपन मुँह खोलती तऽ केकरा लग... संगी, साथी आ माय-बहिन - हिनके सभ लग अपन किछु विचार प्रकट करैत छथि। बाकी, हिनकर चुप्पी बहुत मार्मिक आ सभ्यताके चाप आ वजन सऽ चापल रहैत छन्हि। यदि ओ अपन विचार खूलिके राखैत छथि तऽ सर-ओ-समाज एक सय उलहन देतन्हि। बेटी चुप छथि मोटामोटी। संसारमें बेटी सभ आब कोनो प्रकार सऽ पाछां नहि छथि, मुदा मिथिलाके बेटी एखनहु अपन सभ्यताके बंधनमें बान्हल छथि। माय-बाप-परिजन एसगरे हिनक भविष्यके लेल व्यग्र छथि। बेटी चाहितो किछु बाजि नहि रहल छथि। जे बजली, हुनका लोकके नजरिमें खसय पड़ैछ। लोक सौ किसिम के हुनका विषयमें अफवाह फैलाबैछ। हलांकि आब किछु प्रतिशत परिवर्तन माँ मैथिलीके भूमि मिथिलामें सेहो देखबा में आबय लागल छैक... लगैछ जे बहुत दिनके दबल ज्वालामूखी फूटय लागल अछि। जे बेटी के इ ज्ञान छन्हि जे जीवन हुनक थिकन्हि आ कोनो निर्णयमें प्रथम अधिकार माता-पिताके समर्पित करितो हुनकर व्यक्तिगत सोच आ सुझाव शामिल रहबाक जरुरी छैक, ओ सभ अपन माता-पिता-परिजन संग खूलिके व्यवहार करैय लागल छथि। एतय तक कि बहुत पढल-लिखल परिवार बेटीके एतेक स्वतन्त्रता देबय लागल छथि जे बेटीके भावना सर्वोपरि, बेटी अपन कैरियर निर्माण के लेल मेहनत करैत आब गामो सऽ बाहर होस्टल आ शहरके अन्यान्य भागमें रहैत अपन जीवनके लेल लड़ाई करैत अपना संग-संग पारिवारिक मान-मर्यादाके रक्षा करैत आगू बढय लगलीह, तखन अपन जीवनसंगीके चुनावमें हुनक अधिकार प्रथम रहबाक चाही। देखू! बाहर सऽ देखलापर इ बात बहुत खींचतान होइत बुझैत छैक। लेकिन वास्तविकता यैह छैक, सभ परिवारमें एहने स्थिति छैक। समूचा मिथिला आब केवल आ केवल एक विन्दुपर अत्यन्त पाछू पड़ि रहल अछि ओ इ जे दहेज प्रथा के दबाव आ घर-वरके चुनाव अत्यन्त जटिल भऽ गेल छैक। पहिले इ निर्णय करय में सहज छलैक - कारण नौकरी के किसिम अधिकांशतः सरकारी छलैक आ बेशक सरकारी नौकरीवाला लड़का के माँग होइत छलैक। तहिना व्यवसायी वा कृषि क्षेत्रमें जेकर उच्च ओहदेदार छवि छलैक ओकरो किछु माँग होइत छलैक। तदोपरान्त लोक अपन चुनाव एहेन वर-घरके करैत छल जाहिमें एक-दोसरके क्षमता आ सामान्य माँगके पूरा करैके औकात आदि विन्दु बनैत छलैक सहायक निर्णय करय में। आब कनेक समस्या छैक। आब, बेटीके शिक्षा आ बेटाके शिक्षामें एक तऽ बहुत अन्तर नहि छैक - दोसर आब लड़काके योग्यता अनुसार विभिन्न प्रकार के नौकरी जाहिमें सरकारी कम आ निजी क्षेत्रमें बेसी रोजगार छैक। जमीन-जथा सेहो आब पहिले जेकां लोक लग नहि छैक। यदि छहियो तऽ ओकर उत्पानशीलतामें ओ दम नहि जे पहिलुका समय में होइत छलैक। तदापि खींचतान रहितो व्यवस्थामें एखन धरि कोनो उद्वेलन छैक से अधिकांशतः नहि छैक। हाँ, उद्वेलन जतय छैक ओतय समाजिक बंधनके तोड़ैत विभिन्न प्रकार के विवाह सभ होवय लागल छैक।

बेटाके लेल वधु के चुनाव सेहो एक मुख्य समस्या छैक आब... लेकिन दहेज के लोभ मनुष्यके विवेकहीन बनबैत छैक। तहू में जे आजुक अर्थ-प्रधान युग छैक, आब न्युनतम व्यवहारके निर्वाह करैक लेल सेहो लाख टाका के जोगार तऽ चाहबे करी। तखन समग्र रूप सऽ देखल जाय तऽ समस्याके निदान जटिल पहाड़ समान ठाड़्ह छैक। एक विद्वान्‌ कहलखिन जे यदि बेटाके सभ संस्कार लोक अपनहि लगानी सँग सम्पन्न करैत छथि, तखन वैवाहिक संस्कार बेर में बेटीवाला पर बेसी भार देवाक कि कारण? कि बेटावाला ताहिमें सक्षम नहि छथि?? छथि। मुदा हुनका ऊपर तऽ बेटीवालाके मजबूरी आ दहेज के लोभ - इ दुनू विन्दु सहायक बनैत इ आश दैत छन्हि जे चल ने भाइ... कियो तऽ एबे करता आ फलां के विवाह सेहो नीके जगह पर हेतैक। लेकिन आब औसतन लड़का सभके उम्र ३० वर्ष भऽ गेलैक अछि - संभवतः केओ कुटुम्ब एथिन आ विवाह के प्रस्ताव देथिन आ एहि बेरका लगन में ओकर विवाह भऽ जेतैक। प्राइवेटमें लड़का एकाउन्टेन्ट अछि, आइटी प्रोफेशनल अछि... नीक दहेज सेहो भेट जेतैक। औसतमें ५ लाख के माँग बनबे करतैक। ;) त्याग के भावना मुश्किल सऽ ५‍% परिवार में रहैछ। लेकिन आखिर बेटावाला के सेहो बेटी छैक ने... तखन यदि बेटामें पाइ नहि लेथिन तऽ बेटीके विवाहमें कोना के पाइ देथिन...! इत्यादि द्वंद्व सभ जगह छैक। आब??

सर्वविदिते अछि जे आइ-काल्हि बेटीके जन्म सऽ पहिने शान्त करैक लेल सेहो अनेक उपाय आबि गेल छैक आ जनसंख्यामें असंतुलन एकर सभ सऽ पैघ प्रमाण थिकैक। यौ जी! बेटीके जन्म देबय सऽ पहिले यदि योजना सेट भऽ जेतैक तखन आगू माय के बनथिन? डेराउ नहि! बेटीके जन्म लेबय दियौक। सभ अपन भाग्य सऽ अबैत छैक एहि पृथ्वीपर। जेना विश्वंभर जन्म लेबय सऽ पहिने मायके स्तनमें जन्म लेबयवाला बच्चालेल पोषण के इन्तजाम कय दैत छथिन, तहिना आगुओ हुनकहि सनातन सिद्धान्त कार्यरत हेतैक।

चिन्ता कथीके स्वयं ओ पुरारी,
लाचार देखता पठौता सवारी!
लेता खबरि ओ सुनैत देरिया.... :)

आ, दहेज के पैसा कोन काजक?? देखियौ ने! कतेको उदाहरण तऽ सामने अछि। कतेक गोटाके दहेज के पैसा फबैत छन्हि से!! ;) सभटा तऽ जैछ बाजार के दोकान में!! पाइ लेलियैक तऽ आब सोनाके व्यवहार, इ आडंबर, ओ आडंबर... अनेक बात। सभमें शुद्धके समयके महंगाईके मार!! सोलह आनामें सऽ चारि आना तऽ फोकटमें उड़ल। एम्हर बरियाती जेतैक तऽ एकहि रंग के स्कोर्पियो गाड़ी के लाइन जरुर लगबाक चाही। लड़काके दोस्त सब शहर सऽ एतैक तऽ दारू-पानी आ बैण्ड बाजावाला ओ पंजाबी धून पर खूब ढोल पीटतैक तखन ने छौड़ा सभ डांड़्ह लचकायत। घोघटमें कम-दामी साड़ी कोना देबैक! लड़की के कर-कुटुम्ब सभके लेल केहनो कपड़ा देबैक तऽ सेहो नहि हेतैक... ! हरिः ॐ! कतय सऽ पाइ बचत? सभटा गेल बनियां के दोकान में।

परिवर्तन के लेल क्रान्ति - क्रान्ति के लेल बेटी सभ द्वारा कड़ा फैसला - बेटा के द्वारा त्यागके उदाहरण बनौनाइ - आडंबर के समाप्त केनै - समाजमें एक नियम बनेनै जे आब फलां समाजमें दहेज के व्यवहार प्रतिबन्धित अछि। लोक नहि सिर्फ ताहि ठाम अपन सम्बन्ध बनाबैक लेल लालायित हेता बल्कि ओहेन गामके - समाजके खूब नाम आयत। आदर्श समाजके निर्माण लेल दहेज के स्वस्फूर्त विरोध जरुरी। कोनो दाकियानुसी सोच नहि आब!! समस्याके हल्लूक बूझब मूर्खता।

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दहेज मुक्त मिथिलाके भविष्य - प्रवीण चौधरी..

बंधुगण! इ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण विन्दु अछि जाहि पर दहेज मुक्त मिथिलाके वर्तमान सदस्यके संगहि अन्य महानुभाव सभ सेहो विचार करी। जाबत धरि निम्न विन्दु ऊपर संस्थाके वर्तमान अबस्था अहाँ सभ के स्पष्ट नहि होयत, एकर भविष्य निर्धारण करब बहुत मुश्किल बुझा रहल अछि।

१. कार्यकर्ता: एखन धरि के अबस्था एहेन अछि जे हमरा लोकनि... छिटफूट किछु प्रतिबद्ध लोक एहिमें अपन समय, धन आ विचार लगा रहल छी। कोनो समय यदि १० कार्यकर्ता एक ठाम बैसयके योजना बनायब आ किछु आगामी समयके लेल विचार करब से संभव नहि अछि, अनेको कारण सऽ।

२. केन्द्र: यथार्थके धरातलपर एकर केन्द्र पंजी भवन, सौराठ सभागाछी अछि - मुदा फेशबुकपर एकर केन्द्र इ ग्रुप याने दहेज मुक्त मिथिला अछि। यथार्थके केन्द्रपर केवल दू-चारि गोटे तत्पर छथि - हुनको तत्परता में एतेक मर्म छन्हि जे हम मने मन हुनका सभके बेर-बेर प्रणाम करैत छी। हमर हार्दिक इच्छा अछि जे केन्द्रके कार्यालयके व्यवस्थित करैक लेल एक कंप्युटर के परम आवश्यकता छैक आ श्री प्रकाश चौधरीजीके अध्यक्षतामें एहि कार्यालयके सुचारू रूप सऽ कार्यान्वयन कैल जयबाक चाही। हलाँकि प्रकाश भाइ आइ तीन महीना सऽ अपन अमूल्य योगदान देलाह छथि, अपन जे एक छोट-छिन फोटोग्राफीके दोकान छलन्हि सेहो बन्द भऽ गेलन्हि अछि, बहुत समस्याके भीतरे-भीतर पिबैतो ओ दहेज मुक्त मिथिलाके लेल अपन अमूल्य योगदान देलाह, एकर आभार हमरा लोकनि कहियो नहि उतारि सकब। लेकिन आगामी समयके लेल हिनकर समयके समुचित ढंग सऽ लैक लेल संस्थाके प्रतिबद्ध संचालक सदस्य सभ एक बान्हल योगदान यदि देथिन तखनहि संभव छैक जे कार्यालय निरंतर चलतैक - फेशबुकके केन्द्र सऽ यथार्थके केन्द्रके बीच सामंजस्य रहतैक आ सरकारी कोष संग जुड़ैके सेहो प्रयास हेतैक। गाम-गाम एहि बात के चर्चा पहुँचतैक। हरेक सप्ताह नव-नव गामके जोड़ल जेतैक। एहि सभ के लेल एक समुचित कोष के आधार कि तऽ?

३. कोष: यैह प्रमुख विन्दु थीक। शुरु कैल, सदस्यता शुल्क मात्र कोषके आधार बनाओल। तदोपरान्त किछु सक्षम सदस्य अपन व्यक्तिगत अनुदान राशि सऽ एहि संस्थाके मजबूती देबाक चेष्टा करैत रहलाह छथि। आगुओ हिनकहि तैयार रहय पड़तन्हि... ताबत, जाबत इ संस्था एक गैर सरकारी संगठन बनिके नहि सामने अबैछ आ एकर कारोबार सरकारी योजनानुसार नहि चलय लगैछ। एहि में कम से कम ६ महीना के समय मानल जाउ। पहिले पंजियन, फेर कम से कम ४०-५० गाम में संस्थाके सदस्यताके निर्माण। तदोपरान्त एक आमसभा - फेर कार्यक्रम योजना, कोषके व्यवस्थापन, कार्यान्वयन, आदि अनेक तत्त्वपर विचार करैत प्रोजेक्ट पेश केनै आ सरकारी योजनाके अन्तर्गत समाजमें जागृति पसारयके काज के संग-संग दहेज मुक्त मिथिलाके अपन जे किछु योजना हेतैक से सभ शुरु कैल जेतैक। सभ मिला के यदि एखन १० सदस्य ५००/- महीना के अनुदान उपलब्ध करौता, तखनहि संभावना प्रबल बनैछ जे संस्थाके प्राणाधार बनल रहतैक। आब एहेन १० सदस्य के तऽ??

४. कार्यक्रम योजना: शुरुमें हमरा लोकनिक योजना एहेन छल जे फेशबुक के पेज सऽ १०० लड़का दहेज मुक्त विवाह करनिहार एता - अनेरौ सऽ समूचा मिथिलामें इ खबर इजोत जेकाँ पसरतैक आ ताहि क्रममें संगठन स्वतः लोकके विश्वास जितैत बनतैक... लेकिन... अपने लोकनि जनैत छी जे एहेन किछु नहि भेलैक। गप मारऽ के अलावा ओहि विन्दुपर कोनो उल्लेखणीय कार्य प्रतिबद्ध सदस्य द्वारा नहि कैल गेल। दोष केकरो नहि, समय के फेरी कहल जाय। पुनः हम सभ प्रतिबद्ध छी जे अगिला साल तक कम से कम १०० दहेज मुक्त विवाह अवश्य कराओल जाय। बहुत लगन सऽ हम सभ लागल छी, बहुत लोक हमरा संग सेहो सम्पर्क में आयल छथि आ उम्मीद अछि जे ईश्वर-कृपा सऽ इ योजना अगिला साल तक सफल होइ। मुदा एकर सफलता तखनहि हेतैक जखन हम सभ छोट-छोट कार्यक्रम अनेको जगह करबा सकी। जेना हम गछने छी जे दिसम्बरमें बिराटनगरमें सौराठके प्रतिकात्मक पुनरावृत्ति करेबैक आ जागृति करैत आह्वान करबैक जे दहेज मुक्त विवाह करनिहार हमरा सभ संग जुड़ैथ आ सौराठ एहेन महत्त्वपूर्ण पारंपरिक संस्था सभके मिलि-जुलिके सम्हारै जाउ। एहि तर्जपर दिल्ली, पटना, कलकत्ता, मुंबई, वापि, चेन्नै, बंगलोर, रायपुर, आदि दूरस्थ जगह के संग-संग मिथिलाके अनेको क्षेत्रमें कार्यक्रम करबैत एक आम आह्वान करबैक आ इ काज प्रत्येक महीना होइक से योजना छैक। यदि पंजियन प्रक्रिया भऽ जेतैक तखन जल्दिये कला-संस्कृति विभाग द्वारा सेहो पूर्ण सहयोग भेटतैक, इ आशा अछि।

५. क्रियान्वयन: उपरोक्त बहुत विन्दुपर यदि दहेज मुक्त मिथिला सक्षम होइछ, तऽ क्रियान्वयन में समस्या नहि हेतैक इ उम्मीद राखै जाउ। यदि वास्तवमें लोक में दहेज प्रति विछोह छैक, आ सत्यके धरातल पर परिवर्तन चाहैत छथि, तऽ अपन उर्जा के संस्थाके उर्जामें समाहित करैत आगू बढैत रहबाक प्रतिबद्धता अवश्य जाहिर हेतैक आ सफलतापूर्वक सभ कार्यक्रम के क्रियान्वयन कैल जा सकैछ। एकर सुखद परिणाम इ हेतैक जे लोकमें विश्वास आ उम्मीद दुनू बढतैक - सब सऽ बेसी परिवर्तन एतैक हताश बेटी आ बहिनमें - कारण ओकर अबस्था जे एक मूक दर्शक के छैक ताहिमें बोली एवं हिम्मत आबैक पूर्ण संभावना छैक।

बंधुगण! उपरोक्त ५ महत्त्वपूर्ण विन्दुमें अपने लोकनि कतय आ केना योगदान दऽ सकैत छी से स्वयं निर्णय करू। दहेज मुक्त मिथिलाके भविष्य के निर्धारण अहीं सभके हाथ में अछि।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

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गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

मित्र-बंधु-बहिन सभ

          एहि में दू मत नहि जे फेशबुक सऽ आन्दोलन के पूर्ण परिचालन भऽ सकैछ, लेकिन आधार-स्तम्भके निर्माण, कार्यक्रम योजना, कार्यकर्ताके खोज - इ सभ कार्य समाजिक संजालरूपी फेशबुक पेज सऽ सेहो संभव छैक।

आब जेना दहेज मुक्त मिथिलाके उदाहरण लेल जाय - भेलै कि जे किछु मित्र सभ आपसमें गप करैत समय मिथिला ऊपर दहेज के बढावा वा पोषण करैक आरोप लगाबैछ - आरोप कि - जे वास्तविकता अछि से बात करैछ आ ताहि अनुरूप दोसर मित्र ओहि विन्दुपर किछु करबाक लेल बात करैछ... एवम्‌ प्रकारेन बहुत मित्र-बंधु-बहिन लोकनि जुटैत छथि आ फेशबुक पर दहेज के धज्जी उड़ैछ। प्रश्न उठैछ - कि वास्तवमें युवा के हृदयमें परिवर्तन आबि रहल छैक? कि जेना इ थोड़ेक युवा उत्साहित छथि दहेजके दानवके भगाबय लेल, तहिना हर गाम आ घर-शहर-नगरमें युवा सब आतुर छथि अपन समाजके एहि दानव सऽ छुटकारा दियाबैक लेल? सुन्दर विन्दु अछि इ दहेज एवं एकर समर्थन कोन रूपें हेवाक चाही, कोन प्रकार के विरोध होयबाक चाही आ युवा लोकनिक इच्छाके सार्थकता दैक लेल किछु कार्य सेहो हेबाक चाही। बस निर्णय होइछ जे किऐक नहि धरातलपर एहि मूहिम के उतारल जाय। आ तदनुसार क्रमबद्ध रूपमें एहि मूहिम के निरंतरता वैह फेशबुक परका मित्र-बंधु-बहिन सभ देवय लगलथि। एक मोर्चा के निर्माण भऽ गेल। किछु प्रतिबद्ध सदस्य सेहो बनि गेला।

आ, चूँकि बाहुल्य सदस्य सभ दहेज विरोध के सुन्दर स्वरूप सौराठके सभागाछीवाला परिकल्पनाके पुनरुत्थान एवं पुनर्जीवित करैत होयबाक चाही - अतः वर्तमान मूहिम जे अछि से सौराठके पुनरुत्थान हेतु सेहो सक्रिय होयत, प्रथमतः एहि परंपराके लेल लड़त आ ताहि संग-संग जे केओ बिना दहेज लेन-देन आदर्श विवाह करैत छथि, हुनका लोकनिक यशगान करनै एहि बेरके योजनामें शामिल भेल। संगहि दहेज मुक्त मिथिलाके अपन एक पोर्टल निर्माण कैल जायत जाहि ऊपर दहेज मुक्त विवाह केनिहार के ऊपर विभिन्न रिपोर्ट आ आगू इच्छूक व्यक्ति सभ जे दहेज मुक्त विवाह करता तिनक पूर्ण परिचय सेहो उपलब्ध कराओल जायत। संगहि मासिक वा अर्धमासिक बूलेटिन जे दहेज मुक्त मिथिला के कोन काज पृथ्वीपर भऽ रहल छैक तेकर जानकारी उपलब्ध कराओल जायत। अन्य कार्यमें दहेज मुक्त मिथिलाके तरफ सऽ गाम-गाम आ शहर-शहर एहेन कैम्पेनिंग होयत जाहिमें दहेज मुक्त विवाह केनिहार के यशगान एवं आम जनमानसके जागृति हेतु विभिन्न कार्यक्रम आदि समाहित होयत। सदस्यता अभियान लेल सेहो प्रत्येक गाम आ शहरमें एक प्रमुख के चुनाव आ तदनुसार एक स्थानीय कमिटीके गठन करैत शाखा विस्तार कयल जायत। पुनः दहेज मुक्त मिथिला के तरफ सऽ सामूहिक विवाह, सौराठके तर्जपर सभागाछी विभिन्न जगह पर लगौनै, जागृतिमूलक सांस्कृतिक कार्यक्रम, सभा आयोजन, अन्य सम्बोधन आदि कैल जायत। एहि संस्थाके राजनीति सऽ कुनु लेना देना नहि रहत मुदा कानून विरुद्ध कतहु किनको ऊपर अत्याचार भेलापर सामाजिक नियमके अनुरूप ओहि प्रकार के अत्याचार विरुद्ध लड़ाई सेहो लड़त। दहेज मुक्त विवाह केनिहार लोक सभके यशगान-सम्मान आदि करैत अन्य व्यक्तिमें सेहो एहि प्रकारके वातावरणके सृजना कैल जाय से मुख्य लक्ष्य रहत।

वर्तमान में इ संस्था पंजीकरण प्रक्रियामें अछि - एकर सदस्यता हेतु एखन स्थानीय कर्मठ कार्यकर्ता श्री प्रकाश चन्द्र चौधरी के व्यक्तिगत खाताके प्रयोग कैल जा रहल छैक, जेकर विवरण दहेज मुक्त मिथिला नामके ग्रुपपर उपलब्ध अछि। सदस्यताके चारि प्रकार राखल गेल छैक - संरक्षक सदस्य (५१०१/-), संस्थापक सदस्य (२१०१/-), आजीवन सदस्य (५०१/-) आ साधारण सदस्य (१५१/-) - सदस्य के जिम्मेवारी, अधिकार आदिके नियमन्‌ होयबाक बाकी छैक, जे क्रमशः कानून-विधान अनुरूप हेतैक। कार्यकारिणीके गठन सेहो पूर्ण प्रजातान्त्रिक मूल्य के अनुरूप हेतैक। पदके लोभ एहेन होइत छैक जे संस्थाके जन्म सऽ पहिने एकरा मारयके फेर में पड़ैत देखल गेलैक अछि। ताहि हेतु एहि बेर जेना-तेना सौराठ सभाके आयोजन तक एक एडहॅक कमिटी बनाके कार्य सम्पादित कैल जाय, आ तेकर बाद एक आमसभाके आयोजन करैत ओहिठाम विधान अनुरूप निर्वाचन प्रणाली द्वारा कार्यकारिणीके गठन होयत से विचार अछि।

एतेक कार्य मुख्यतः फेशबुक सऽ सम्पादित भेल - आब धरातल पर कि-कि होइछ इ देखबाक अछि।

हरिः हरः!!
 
Pravin  Narayan Choudhary

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सोमवार, 25 अप्रैल 2011

अप्पन बिचार की भेल से कहू ?

  प्रिय बंधुगन आय ग्रुपक सफलता के देखैत बहुत ख़ुशी होइत छले,

जे हम सभ मिल के जे एक छोट छिन्ह सपना देखने छलों से आय अपन राह पर अग्रसर भो रहल अछि.....
खुशिक संगे संग बहुत रास गप एहनो अछि जहीं सँ ह्रदय बहुत दुखाबैत अछि..

ह्रदय के द्रवित करै बला एहने एक आर गपक हमरा पता चलल... दहेज़ मुक्त मिथिला के एक बहुत जिम्मेदार सदस्य जिनका सँ हम सभ बहुत आस राखैत छलों (फिलहाल नाम नै कहब) पता चलल जे अगला महिना हुनकर छोट भाई के विवाह छैन...१९ मई , सुईंन के आश्चर्य करब जे ओ अपन भाई के

1,५००००/- (एक लाख पचास हजार ) दहेज़ लेना छलाह....

आब अहिं सब कहू हम सभ मिल के की की सपना देखैत छलों आ की भे रहल अछि ???
 एहि तरहक सभ सदस्यसँ हम अपील करे चाहब  जे अपनेक झूठ - मुठ  आशाक एहि संस्था "दहेज़ मुक्त मिथिला" के कुनू जरुरत नै छैक... जिनका मोन में एहि तरहक भावना अछि कृपा के कs एहि ग्रुप सँ बाहर जेबाक कस्ट करी...

यदि हमर गप किनको खराब लागत ते तहि लेल छमा चाहब.....

आगू और  सूनू की भेल  ------

Pravin Narayan चौधरी  जितमोहनजी! ओ जे केओ होइथ हुनका लेल एतेक अपील बहुत आँखि खोलयवाला होयबाक चाही। लेकिन नाम खोलबैक तखन ने आरो लोक सभ एहेन मिथ्याचार करनिहार के पहचान करतैक? आ, कहीं अहाँ के गलत जानकारी भेल होय... ओहो बात स्पष्ट भऽ जेतैक। जे-जेना, अपने एहि बातके पूरा स्पष्ट लिखियौक।

Jitmohan Jha   भैया इ बात पूरा स्पष्ट अछि, हम सब हुनका सँ संपर्क में छी संगे ओ गछने छलाह जे लेल गेल दहेज़ रूपी पाई १,५००००/- ओ बेटी पक्ष बला के वापस करता... एहि मुहीम में हुनक खिलाफ खुद हुनकर सार हमरा संग ठार छैथ.. ओ एता धरी हमरा कहला जे जाधरी ओ हमरा स्टं...प पेपर पर लिख के नै देता आ ओई पर बेटी बला के दस्खत नै देखेता हम पछा नै छोर्बैन...
तहि लेल जखन ओ इ बात स्विकारैत छैथ ते हमरा बुझला सँ हुनकर नाम सार्वजानिक केनाय ठीक नै हेत...
तहि लेल हम छमा चाहब... कारण हमरा सभ के किनको भावना के ठेस नै पहुचेबाक चाही....
Pravin Narayan Choudhary वाह जीतमोहनजी!! बहुत सुन्दर प्रकरण बुझैछ आ लगैछ जे इहो एक रिकार्ड बनल एहि दहेज मुक्त मिथिलाके मूहिम के... ग्रेट सिम्प्ली!! जे लेलाह आ रिटर्न करताह ओहो बहुत सभ्य लोक छथि आ हम हुनका केवल एहि लेल नमन्‌ करवैन जे अपने लोकनिक मान राखिके लड़कीवालाके लेल पाइ वापस करय लेल तैयार छथि। वीर पुरुष हुनक सार के सेहो नमन्‌ - अहाँ सदिखन अहिना वीरतापूर्वक दहेजके दानव सँग लड़ैत रही से प्रार्थना। जय मैथिली! जय मिथिला!
 
 
 आब  ओऊ  मुद्दा के  बात  पर  की  ई उछित   थिक   नै,   कियक  नै  की  अहन सब  अहैसे  पहिने मिथिला  से  बहार  छलो जे ?
 
 नाजेर नै   परल  की  अहाँ सब   के , टोल परोस  , गामा  घर  मे ई  बात  नै  छैक
की  अहाँ सब  एक   दोसर  के  खिलाप   किछ  कहै  नै  सकैत  छी या अहाँ  सब के  डर होय्या ,अगर होय्या  त  से किय  होय्या  , से  कियक  की  कारन  छैक , आई जै  किछ  कारन  छल  ताहि दुरे  ई गप्प  उठायल  गेल  कियक  ई  गप्प  मदन  ठाकुर  के  छोट  भाई  के  बियाह  छियान  ताहि दुवारे ?  या मदन ठाकुर  कुनुक  कर्मक  नै छैथि ताहि दुवारे ?   की  किनका  घर  में  बियाह  नै  होयत  अछि  ई गप्प  छुपल  छैक ,  से  बताऊ या और  कुनो कारन  छैक
 
 हम  मिथिला के संतान छी ताहि  दुवारे ,  हम '' दहेज़  मुक्त  मिथिला  '' के सदस्य आई  १०  दिन  से  भेलो जाही  कारन  अपनेक  सबहक  समक्ष  शर्म से  किछ  नीच  लागैत  छी , की  ना यो ,   मुद्दा  नै  हमर  गर्व  से  हमर  गर्दन  आई उच्च  अछि  ,  जे  हम  लड़की  बाला के   रुपैय   वापस  करब  आ  दहेज़  मुक्त  मिथिला  बनायब   हमर  ई  कसम  और  अपनेक  सबहक  वादा अछि , चाहे हमारा अपन परिवार , टोल परोस , या गावं  से नाता तोरे  परे /   यदि  अपनेक  सबहक  सहयोग  रहत  त , ई कदम  हम उठारहल छी  आगू  से  मगर  अहुंके  उठायब परत  अप्पन  कदम  , पछु  से , दहेज़  मुक्त  मिथिला के लेल , की तैयार  छी  अपन गर्दन  उच्चय देखाबैक लेल  ता अहं सब  कसम खाऊ , और  वादा  करू , मिथिला के खातिर | 
 
 
मदन कुमार ठाकुर
पट्टीटोल, कोठिया 
भैरव स्थान , झंझारपुर 
मधुबनी बिहार 847404
और कहब त कहू अहि पर
9312460150
 

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सब स पहिने छमा, किछु व्यक्तिगत मज़बूरी के कारण सक्रिय नै भा पवी रहल छी, मुदा कोनो बात नै जखन जखन समय भेटत त अपन भावना व्यक्त करबे टा करब, अखन तक दहेज़ मुक्त मिथिला के लेल, प्रवीन भाई आ प्रकाश भाई के आलावा कियो अहन सदस्य नै छित जे कोनो जमीनी अस्तर के काज केने होई. सिवाय सदस्यता शुल्क जमा केलौ. कते गोते त अखन धीर सदस्यतो शुल्क नै जमा केलौ.

ताई के बादो पता नै कियक वातावरण दूषित करावक लेल किछु गोटे ततेक धर्फरयल छित जेना लगैया की कही प्रवीन भाई आ प्रकाश भाई हुनकर मुह स रोटी छीन का परा गेला.

मुदा सावधान भा जाऊ जे कियो मैथिल मिथिला के नाम पर गुट वाजी व राजनीत करावक कोशिश करव तकरा मैथिल समाज कहियो माफ़ नै करत, ज आहा कोनो तरहक काज करावा में सक्छाम नै छि त अनुरोध जे जो कियो काज कराइ छैत त हुनका सार्थक समर्थन दियू, नै की हुनक भावना के ठेस पहुँचाऊ.

आहा सब के एक टा बात अश्पस्ट कई दी की "दहेज़ मुक्त मिथिला" कोनो संस्था नै बल्कि मिथिलाक जन जन के आन्दोलन थिक. आई में समश्त मैथिल के समर्थन के जरुरत आइछ. सब संस्था स अनुरोध आइछ जे अपन समर्थन करी चाहे जय अश्तर पर हुवे. आर्थिक, शारीरिक, मानशिक, आई में सब तरहक सहयोग के जरुरत छाई, श्रम दान आ धन दान दुनु के अपन अपन महत्व छई,

आ हमरा लोकिन के त गर्व हेबाक चाही जे हमरा सबके संग प्रवीन भाई , प्रकाश भाई, कृपानंद झा सर. राजू भाई, जीतू भाई, सोनू भाई, विकाश बाबु,मदन भाई,संदीप जी, आनंद भाई और ई मुहीम के सब सदस्य के समर्थन आ अजित आजाद सर, विश्वमोहन झा,सुबोध नारायण चौधरी आ पत्ता नै कते बरका बरका मैथिल विभूति सब के आशीर्वाद प्राप्त आइछ.

सविनय निवेदन जे आब बात मैथिल के सम्मान के आई, आब किनको व्यक्तिगत भावना के ठेश पहुचेबक मतलब, मैथिल के अपमान भेल. तै आऊ सब मिली जुली कै अई सागर रूपी विशाल मुहीम के आगू हाथ में हाथ जोइर बढाबी.

धन्यबाद.अखन काज बड बाकी आई , आई के बाद हमरा लोकिन सिर्फ आ सिर्फ काज के गप पर चर्चा करब नै की फुइसक गुप पैर.

हाँ एक टा गप और सब गोटे अपन विचार देवा लेल स्वतंत्र छि, मुदा आग्रह जे अपन विचार सिर्फ आ सिर्फ सार्वजनीक रुपे ई मंच पर दी.

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अवगत हो अपने लोकनि केँ -

अवगत हो अपने लोकनि केँ -

विगत किछु समय सँ हम एहि मूहिम में अपने लोकनिक आदेश पर लागल छी, हर प्रकार सऽ, हर दृष्टिकोण सऽ हम चाहैत छी जे अपने लोकनिक इ सपना साकार हो। किछु बात हमरा जे अनुभव में आयल से अपने लोकनि सँ शेयर कय रहल छी, राय देबय लेल। आगू कोना बढी, ताहि पर अपने लोकनिक सुझाव के लेल हम एहि विन्दुपर प्रकाश डालैक लेल चाहैत छी। जय मैथिली! जय मिथिला!!

१. एहि मूहिम में केवल त्याग एवं बलिदान के सच्चा हृदय सँ स्वीकार करनिहार बन्धुगण, भद्र-मानुख आगू आबि रहल छथि। हुनका लोकनिक सभ विचार सदिखन उच्च रहल आ रहबो करत - भले ओ दहेज के बात हो वा सामाजिक कोनो भी अन्य बुराई के बात, ओ सभ सदैव हर तरहें एहि समाज के अगुवाई कयलथि आ करताह। एहि रीढरूपी त्यागक मूर्ति सभके बेर-बेर नमन्‌ करी। एहेन व्यक्ति सभके संख्या बहुत कम - कहु ने सैकड़ामें पाँच। :(

२. गरीब आदमी - आम आदमी! जी! हिनका लेल एहि मूहिम के प्रति आँखिमें नोर भरैत छन्हि। ओ सभ चाहैत छथि जे दहेज के प्रथा रहैक लेकिन स्वेच्छा सऽ जे अपन बेटी-बहिनके विवाह करै में सकैथ ताहिपर कोनो जबरदस्ती वा नाजायज माँग नहि थोपल जाय। गरीब आदमी - आम आदमी आजुक एहि महंगाई के संसारमें बहुत मुश्किल साथ अपन जीवन निर्वाह करैत छथि, बचत एतेक नहि छन्हि जे बेटीके विवाह करताह तऽ लाखोमें व्यवस्था गानि सकैत छथि, खान-पिन दिन अनेक संपदा लय के वर-पक्ष के भेट कय सकैत छथि, विवाहके दिन छहर-महर-तीन पहर करैत बाराती स्वागत-सत्कार कय सकैत छथि... वर-विदाई एवं द्विरागमन तक अनेक विध-व्यवहार के भार उठा सकैत छथि... । :( एहि मूहिम में गरीब आदमी - आम आदमी हर तरह सऽ सहयोग देबय लेल तैयार छथि। हिनके बाहूल्यता रहत आगामी दिन में वास्तविक धरतीपर सदस्यके रूपमें।

३. एहि मूहिम के विरोध मध्यमवर्गीय परिवार तरफ सऽ बेसी देखय में आबि रहल अछि - आ, आइ मध्यमवर्गीय परिवार के संख्या कम नहि अछि। यदि प्रतिशतताके आधारपर निकालय जाय तऽ हमरा बुझने ५०-६०% लोक मध्यमवर्गीय परिवार छथि। समस्या एहनो नै छैक जे सभ मध्यमवर्गीय परिवार दहेज के प्रलोभनमें छथि... नहि... नहि... आखिर बेटीवाला इहो छथि। तखन बेटामें बड़का मुँह, बेटीमें गरीब। देखावा अनेक! बेटाके बहुत शौख... बरियाती एना जाय, पटाखा फोड़ब, यार-दोस्त दारू पी के नाचत, बैण्ड बाजा, सुट-पैण्ट टाइ जुत्ता पहिरि के विवाह हेतु जायब, हम इ करब ओ करब कि करब यार वाला हाल अछि। बेटाके बापो एहि घड़ी इ बिसरि जैत छथि जे समैध के कोढ-करेज टूटि रहल हेतैक... बस रभाइसमें मस्त। बाप रे बाप!! देखयवाला होइछ एहि मध्यमवर्गीय परिवारके रभाइस। दहेज के प्रमुख बढावा एहि वर्ग सऽ भेट रहल छैक, जेना बुझैछ। तहु में बेसी ओ परिवार जिनकर एक बेटा एस.एस.सी. वा बैंकिंग वा क्लेरिकल वा एतय तक जे सरकारी पियुन बनल अछि - ताहि परिवार के मुँह तऽ देखयवाला होइछ। :)

४. मिथिलाके बेटी चुप किऐक?? इ प्रश्न हमरा बहुत खैछ। :( बहुत सोच-विचार केलाके बाद हम एक निर्णय पर पहुँचलहुँ जे गरीब तबका के बेटीमें शिक्षा के बहुत प्रधानता मजबूरीके चलते नहि छैक। हुनका लोकनिक बेटी या तऽ मैट्रीक के बाद पढाई छोड़ि दैछ, वा तेकर बाद प्राइवेट सऽ पढैत जेना-तेना घिसियौर कटैत उच्च शिक्षा हासिल करैछ... भगवती सहाय भेलखिन, माय-बाप कनेक उत्साही भेटल कि मुश्किल सऽ १०% गरीबोके बेटी आब आगू बढि रहल छथि। बाकी सभ विवाह सऽ पहिने गुमनाम जीवन बिताबैछ - अपन कोनो पहचान नहि, कोनो मान नहि, कोनो सम्मान नहि...!! हम बहुत कनैत छी जखन हिनका लोकनिक हाल देखैत छी, कारण असहाय मजबूर प्रवीण वा कोनो एक व्यक्ति आखिर कैये कि सकैछ। लेकिन अवश्य संकल्पित छी, जे एक-न-एक दिन अहु बेटी-बहिन लेल लड़ब, अवश्य लड़ब। इहो काज मूलतः हिनके लोकनि लेल अछि। ताहि लेल एहि मूहिम के हम दीनानाथके मूहिम बुझैत छियैक। सभ सऽ आह्वान करैत छी जे अहाँ सभ गोटे एहिमें शरीक होय, सभके आगू बढाबी। आब, मध्यमवर्गीय परिवार के बेटी-बहिन कि करैत अछि? एकरा सभमें सदिखन एक संदेहके परिस्थिति छैक। ओहो सभ इ बुझैछ जे बाबु-माय कहियो गलत नहि सोचता, जे करता नीके करता... बस मौन अछि। यदि दहेज मुक्त मिथिलाके परिकल्पना वास्तवमें सफल होयबाक सपना देखैत छी तऽ इ भार एहि बेटी-बहिनके अपना हाथ में लेबऽ के छैक। सभ तरहें यैह सभ सक्षम छथि - आब मौन अवस्थाके त्याग करू आ अपन लेल कमो तऽ गरीबके बेटीके लेल झाँसी की रानी समान एहि दहेज लोभी समाज सँ लड़ाई के लेल तैयार होउ। एकर उपरान्त लगभग २०% बेटी-बहिन जे सम्पन्न परिवार सँ अबैत छथि - हुनका लोकनिमें ५% अति उच्च विचारधारा के बुझू देवी समान एहि मूहिम में अपन सर्वस्व दैक लेल तैयार छथि, मुदा ओहो हेरायल छथि, लाज-प्रथा, पारिवारिक बंधन, कि तऽ कि!! १५% बस आम मैथिलके समान न एम्हरे न ओम्हरे, जेम्हरे-तेम्हरे!! हर हर!! :) एहि मूहिम के वास्तविक सफलताके सभ सँ पैघ कमजोरी यैह थीक। अपने चिन्तक एवं विद्वान्‌ सभ सँ हम एहि विन्दुपर बेसी सोचैक लेल आग्रह करब कि इ सभ कोना के एहि मूहिम के बागडोर अपना हाथ में लेती, कोनाके दहेज लोभी बाहुल्य समाजके प्रताड़ित करती आ कोनाके हुनका लोकनि के लाइन पर अनतीह। एहि विन्दुपर बेसी सोचबाक जरुरी अछि।

५. सक्षम एवं नेतृत्व पक्ष - विधायिका, प्रशासक, न्यायपालिका - प्रजातंत्रके इ तीनू सशक्त आधार एहि दहेजके दानव सऽ हारल बुझैछ। लोक सभ एहि तीनू संग ओहिना आँखमिचौली खेला रहल अछि जेना अपराधी सभ हर तन्त्रके सक्रिय रहला के बावजूद अपराध करनै नहि छोड़ैछ। :( इ बहुत दुःखद अछि, आ समग्र समाज एहि व्यवस्थाके चोट प्रत्यक्ष वा अप्रत्यक्ष रूपमें झेलैछ... तखन इहो सही छैक जे वैज्ञानिक व्यवस्था के कमी बुझैछ। दहेज सँ लड़ैक लेल बाजत सभ, मुदा करत केओ नहि। :( हम पहिले सेहो एक बेर अपने लोकनि सँ कहने रही कि यदि दहेज के टैक्सेबल बना देल जाय तऽ एकर दूरगामी असर पड़तैक। तखन अपने लोकनिक विचार के आमंत्रण करैत छी।

समाजमें रहनिहार प्रत्येक व्यक्ति के अपन स्वतंत्र विचार राखऽ के अधिकार छन्हि।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

हरिः हरः!!

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शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

गलचोटका बर


          गलचोटका बर।

                    ¼एकटा हास्य कविता)

देखू-देखू हे दाए-माए
केहेन सुनर छथि गलचोटका बर।
तिलकक रूपैया छनि जे बॉंकि
सासुर मे खाए नहि रहल छथि एक्को कर।

अनेरे अपसियॉंत रहैत छथि
अल्लूक तरूआ छनि हुनका गारा में अटकल।
खाइत छथि एक सेर तीन पसेरी
मुदा देह सुखाएल छनि सनठी जॅंका छथि सटकल।

केने छथि पत्रकारिताक लिखाई-पढ़ाई
दहेजक मोह मे छथि भटकल।
ऑंखि पर लागल  छनि बड़का-बड़का चश्मा
मुहॅं कान निक तऽ चैन छनि आधा उरल।

ओ पढ़हल छथि तऽ खूम बड़ाई करू ने
मुदा हमरा पढ़नाईक कोनो मोजर ने।
बाबू जी के कतेक कहलियैन जे हमरो पसीन देखू
मुदा डॉक्टर इंजीनियर जमाए करबाक मोह हुनका छूटल ने।

जेना डॉक्टर इंजीनियरे टा मनुख होइत छथि
लेखक समाजसेवीक एको पाई मोजर ने।
सोच-सोच के फर्क अछि मुदा केकरा समझाउ
दूल्हाक बज़ार अछि सजल खूम रूपैया लूटाउ ने।




एहि बज़ार में अपसियंॉत छथि लड़की के बाप
इंजीनियर जमाए कए छोड़ैत छथि अपन सामाजिक छाप।
एहि लेल तऽ अपसियॉंत छथि एतबाक तऽ ओ करताह
बेटीक निक जिनगी लेल ओ किछू नहि सोचताह।

अहॉं बेटी केॅ निक जॅंका राखब दहेज लैत काल
हमरा बाबू के ओ तऽ बड़का सपना देखौलनि।
ई तऽ बाद मे बूझना गेल जे किछूएक दिनक बाद
दहेजक रूपैया सॅं ओ पानक दोकान खोललैनि।

नहि यौ बाबू हम नहि पसिन करब एहेन सुनर बर
एतबाक सोचिए के हमरा लगैत अछि डर।
भले रहि जाएब हम कुमारी मुदा
कहियो ने पसिन करब, एहेन दहेज लोभी गलचोटका बर।

 लेखक:- किशन कारीग़र

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शनिवार, 16 अप्रैल 2011

दहेज मुक्त मिथिला ( स्थानीय सौराठ विकास समिति )

उपस्थित सदस्यगण! श्रेष्ठ, मित्र एवं अनुज!!

हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन!

आजुक मिटिंग निरंतरता में अछि आ आब मैथिलीके मिथिलाक चौरी सऽ निकलि दहेज मुक्त मिथिलाके एहि दलानपर अपने लोकनिक पुनः स्वागत अछि। हमरा लोकनि लगभग हर विन्दुपर चर्चा कयलहुँ आ बहुतो रास बातके निर्णय कयलहुँ। सौभाग्य हमरा लोकनिक जे एहि मिटिंगमें श्री कृपानन्द झा सर के अध्यक्षता भेटल। श्रेष्ठ संरक्षक लोकनिक सान्निध्य भेटल। मुद्दा पर आबी।

१. सौराठ सभा के पुनरुत्थान करब से निर्णय लेल।
२. दहेज मुक्त मिथिला स्थानीय सौराठ विकास समिति एवं अन्य संस्थासभ संग मिलिके सहकार्य करब से निर्णय लेल।
३. दहेज मुक्त मिथिलाके स्वतंत्र संगठन बनायब से निर्णय लेल।
४. दहेज मुक्त विवाह के प्रोत्साहन देब से निर्णय लेल।
५. संगठन विस्तारके क्रममें स्थानीय एवं बाहरी सदस्य सभ के जोड़ब से निर्णय भेल। स्थानीय जिम्मेवारी सऽ लऽ के विभिन्न जगहके जिम्मेवारी सदस्य लोकनि सहर्ष स्वीकार कयलाह, जेकर सूची अलग सऽ पेश कयल जायत।
६. सदस्यता शुल्क संरक्षक सदस्य - ५१०१/-, संस्थापक सदस्य - २१०१/-, आजीवन सदस्य ५०१/- एवं साधारण सदस्य १५१/- राखब से निर्णय लेल।
७. सौराठ उपरान्त दहेज मुक्त विवाह समग्र मिथिलावासी हेतु बिना कोनो जाति-पाँति के भेदभाव रखने केवल मैथिली भाषाभाषीके लेल भारत तथा नेपालके विभिन्न स्थानपर सभा-आयोजना करब से निर्णय लेल।
८. सदस्य सभ के-कोना सदस्यता ग्रहण करता से निर्णय लेल, जेकर अलगे लिस्ट बनाओल जायत, सदस्यता शुल्क तत्काल श्री प्रकाश चौधरीजी के खाता संख्या ११३०२५९४५०२ - खाताधारक: प्रकाश चन्द्र चौधरी, बैंक: स्टेट बैंक अफ ईण्डिया, रहिका शाखा में कैल जाय से निर्णय भेल।
९. संगठन विस्तारके क्रममें स्थानीय नागरिक सभके सदस्यता अभियान हेतु कार्यकर्ता परिचालन, प्रचार-प्रसार हेतु आवश्यक पहल एवं आगामी २२ मई के सौराठमें सौराठ विकास समिति संग मिटिंग से निर्णय भेल।
१०. सौराठके सफलता हेतु कार्यक्रम २०-२९ जून, २०११ धरि सदस्य सभके सक्रिय योगदान सऽ स्थानीय सौराठ विकास समिति संग सहकार्य करैत सभामें एक शिविर तथा मंच दहेज मुक्त मिथिलाके तरफ सऽ होयत से निर्णय भेल।

एकर अलावे अनेको विन्दुपर सभ आदरणीय सदस्य सभक विचार भेटल आ ताहि विचार के एक बेर फेर सऽ समेटैक लेल इ थ्रेड के निर्माण कयल गेल, आब अपने लोकनि अपन-अपन विचार आ मिटिंगके संस्मरणके नीचां कमेन्टके रूपमें पोस्ट करी से आग्रह करैत फोरम के खोलैत छी।

धन्यवाद! जय मैथिली! जय मिथिला!!

 
परवीन नारायण  चौधरी

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शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

सौराठ सभा २०११: प्रस्तावित दहेज मुक्त मिथिला के सहभागिता - प्रवीण चौधर...

प्रथम उद्देश्य: सौराठ सभाके पुनर्जीवित केनै

द्वितीय उद्देश्य: दहेज मुक्त मिथिला के प्रथम लक्ष्य-प्राप्ति हेतु दहेज मुक्त विवाह करनिहार जोड़ा-जोड़ी लेल ग्रास-बास-कपास एवं अन्य सभ आवश्यक सुविधाके जोगाड़ एवं व्यवस्थापना

तृतीय उद्देश्य: वंशावली परंपरा के महत्त्वके बुझैत आजुक ग्लोबल मिथिला में मैथिलकेर वर्तमान अवस्थिति, गणना एवं वंशावली व्यवस्थाके निर्माण - कंप्युटरीकरण

चतुर्थ उद्देश्य: सौराठ सभाके तर्जपर विभिन्न गाम आ शहर में सभा लगैक आ दहेज मुक्त मिथिलाके तरफ सऽ द्वितीय उद्देश्यके निर्वाह

पंचम उद्देश्य: पंजीकार, दुतीकार, आदि सभके लेल पारितोषिक एवं आर्थिक लाभोपार्जन हेतु समुचित अवसरके निर्माण

(आरो महत्त्वपूर्ण विन्दु के रूपमें उद्देश्य जोड़यके लेल अपनेक मूल्यवान्‌ सल्लाह निमंत्रित अछि।)

वर्तमान लक्ष्य: सौराठ सभा २०११ में कम से कम १०० जोड़ा वर एवं कन्याके दहेज मुक्त मिथिलाके प्लेटफार्मके अन्तर्गत दहेज मुक्त विवाह सौराठ सभाके शुभ लग्न में संपन्न करयबाक योजना। संपूर्ण सहभागी जोड़ा हेतु एक-समान पारितोषिक-उपहार भेंट-प्रस्तुति। सभ दहेज मुक्त विवाह ऊपर पूर्ण मिडिया कवरेज। स्मारिका हेतु सभ दहेज मुक्त जोड़ाकेर जीवनपर आधारित रोचक एवं प्रासंगिक लेख-रचना, फोटो, एवं सरकारी सहायता उपलब्ध कराबय हेतु आश्वासन एवं कार्यान्वयन। (एतेक बात एहि बेरक सभामें समावेश कैल जाय, वा अपनेक सल्लाह जोड़य-घटाबय हेतु आग्रह।)

कार्यक्रम योजना: जून २०-२९, २०११ - सौराठ सभामें दहेज मुक्त मिथिलाके एक स्टेज एवं कैम्प जाहिमें कमसे कम २०० आदमीके लेल ठहरनै, भोजन-पानी एवं संपूर्ण आवश्यक मानव-सेवा उपलब्ध करौनाइ - समुचित दर पर वा निःशुल्क - कोष अनुसार निर्णय कैल जायत। सहभागी सभक लेल आवश्यक प्रचार-प्रसार।

केन्द्र: सौराठ सभागाछी वा आसपास कोनो गाममें एक कार्यालयके स्थापना।

कोष: दहेज मुक्त मिथिलाके सदस्य सभक व्यक्तिगत सहयोग - गाम-गाम आ शहर-शहर में चन्दा संकलन (स्वेच्छासहित)। एक बैंक खाता खोलि समग्र दान के समुचित लेखासहित व्यवस्थापना। अन्य।

कार्यकर्ता: ६० प्रतिशत स्थानीय कार्यकर्ता, ४० प्रतिशत बाहरी सदस्य एवं पदाधिकारी।

क्रियान्वयन: उपरोक्त कार्यक्रमके शुभारंभ सौराठ सभा समयमें, तेकर उपरान्त कार्यकारिणीके निर्णयानुसार।

सदस्यता शुल्क: आजीवन ५०१/- एवं वार्षिक: १५१/-

संस्था पंजीकरण: मधुबनी जिलान्तर्गत जिलाधीशके कार्यालय सऽ सल्लाह-मशवरा करैत एकर पंजीकरण नियमानुसार करैत संस्थाके बैंक खाता खोलनाइ - इ कार्य एक-बेर जखन इ ड्राफ्ट पूर्ण रूप लऽ लेत तखन तुरन्त करबाक लेल आग्रह।

हरिः ॐ! हरिः हरः!!

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सभा गाछी आब नइए रहत बीरान - विकाश झा

सभा गाछी आब नइए रहत बीरान !
एकसय जोरिक इ बनत मचान !

फेसबुक पर आई कईएल मचल घमासान,
दहेज़ मुक्त मिथिला अछी बनल दालान !

कलंकी दहेज़ के करू भसान ,
मिथिलाक धिया ने देती आब जान !

बुढ़बा जुअनका अछी सबहक रुझान ,
घरे- घरे चर्चा आ चौक पर ठेकान !

जागू यौ मैथिल आब करू मिलान ,
सौराठे मैं हैत आब एकर निदान !

अर्थ दीयौ, बेर दीयौ करू इ आन ,
पाछु ने हटब आ चलायब अभियान !

प्रवीण,प्रकाश आ राजूक अगुआन ,
बिकासक सनेह करैत बिकासे बखान !

सनेहक संग...
विकाश झा

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सौराठ सभाके अभियान में अपनेक राय-मशव - प्रवीण चौधरी

बंधुगण!


सौराठ सभाके अभियान में अपनेक राय-मशवरा माँगैके क्रम में कि देखलहुँ जे अपने लोकनि सौराठके सीमा केवल मैथिल ब्राह्मण तक सीमित नहि राखि एकरा विस्तार करय चाहैत छी। जय हो!! अपने लोकनिक हर मंशा माँ मैथिली पूरा करैथ, से हमर प्रार्थना। चूँकि सभागाछीके महत्त्व तऽ आब ब्राह्मणोके नहि अपील करैछ कारण ओहो सभ एनै छोड़ि देलाह आ पुरखाके कीर्तिपर स्वयं तूफान आ बवंडर आनि देलाह, त एहेन में एहि सभाके मोडेलमें विस्तार कनेक असान्दर्भिक बुझैछ... कम से कम एहि साल वा कहु जे एहि बेरक मुहुर्तमें। ताहि हेतु हम अपने सभके समक्ष एहि दोसर थ्रेडके निर्माण करैत किछु प्रश्न राखि रहल छी जाहिपर अपन मत राखल जाउ।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

प्रश्न अछि:

१. कि मैथिल माने खाली मैथिल ब्राह्मण?
२. कि मिथिलामें रहनिहार सभ मैथिल नहि छथि?
३. यदि छथि तऽ एहेन दुष्प्रचार किऐक जे खाली ब्राह्मण टा मैथिल छथि?
४. सौराठ सभा केवल ब्राह्मण हेतु कियैक?
५. कि अन्य वर्ण एहि में अपन हिस्सा नहि चाहलैथ?
६. कि राजा हरसिंह देव जे एहि प्रथाके चलौला, कि ओ ब्राह्मणकेर वर्चस्वके स्वीकार करैत मात्र सौराठ में ब्राह्मण टा के सभा के रूप में स्थापना कयलाह? (सौराठ सनक अनेक एहेन स्थल छैक जतय सभा लगाओल जैत छल, आ ओ सभ सभा केवल ब्राह्मण हेतु छल... हमरा समझ सऽ अन्य जाति के एहि तरहक सभाके औचित्य नहि बुझैत छल - किऐक तऽ जे वैवाहिक विधान ब्राह्मणमें होइछ ततेक तितम्भा अन्य वर्ण में नहि छैक... एखनहु एहि बात के प्रमाण देखय में अबैछ।)
७. मिथिलामें जतय कतौ कोनो समाजिक संरचना के निर्माण भेलैक ताहिमें ब्राह्मणक अग्र भूमिका रहलैक, अन्य जाति केवल अनुसरण करयवाला एवं ब्राह्मणके पाछू चलयवाला रहलैक जेना बुझैछ... तखन पहिले एहेन कोनो विरोध वा विद्रोह नहि भेल छल। जखन कि आब एहि मुद्दापर अनेक तरहक बात उठैछ, एतय तक जे ब्राह्मण जातिके बीच सँ सेहो समावेशीपन के आवाज उठैछ। मिथिलामें रहैत हम आइ धरि इ नहि देखलहुँ जे दलित के नामपर कतहु कोनो प्रकार के विद्रोह वा विरोध आदि भेलैक... छुवाछुत के कारण दलितके बच्चाके स्कूलमें प्रवेश नहि देल गेलैक जे ब्राह्मणके बच्चाके संग ओहो स्कूलमें विद्या अर्जन करत आ से गप ब्राह्मणके मंजूर नहि हेतैक...। हिन्दू-मुसलमान-दलित सभ वर्णके बच्चा एक संग स्कूलमें बोरा बिछा के वा बेन्च-डेस्क प्रयोग करैत बैसल आ भारतीय संविधानके मर्मके रक्षा करैत कम से कम हम अपन जीवनमें देखलियैक आ विश्वास अछि जे एहि तरहक समान नागरिक संहिताके अनुभव अपने लोकनि अवश्य केने होयब। तखन इ पूर्वाग्रही राजनीतिज्ञके वोट बैंक पॅलिसीके शिकार आम जन आ मैथिल किऐक??
८. कर्मकाण्डके कि महत्त्व छैक से बिना आत्मसात केने पुनः वेदके महिमाके झुकाबयवाला विचारके उत्पत्ति किऐक? कि पुनः बुद्धके तोड़ि-मरोड़िके धर्मके नामपर सामाजिक युद्ध के दुस्प्रयास भऽ रहल अछि... जे मिथिला में अनेको बुद्ध-विज्ञ के शास्त्रार्थमें परास्त कयनिहार मिथिलाके अनेको सुप्रसिद्ध विद्वान्‌ भेलाह - हुनकर दूरदृष्टि के मंगनीमें व्यर्थ जाय देबाक चाही? मिथिला अधिकांशतः तांत्रिक भूमि रहल - एकर अपन अनेक अनोखा विद्या रहल, कि ओकरा सभक परित्याग जानि-बूझिके कयल जाय? एक तऽ इ स्वतः गतोष्णमूखी अछि... ताहिपर सऽ मिथिलापुत्र सभ एकरा खीद्दाँश करैत खतम करैक लेल चाहैत छथि, कि इ उचित अछि?
९. हमरा लोकनि जे केओ एहि वाद-विवाद में हिस्सा लऽ रहल छी, अपन श्रेष्ठ के मानैत होयब, हमरा उम्मीद अछि। अपन इतिहास के अवश्य बुझैत होयब हमरा उम्मीद अछि। खाली गप मारब कतेक तक उचित?? यदि गहराई के ज्ञान के कमी अछि, तऽ किऐक नहि हमरा सभके संग देनिहार महान्‌ विद्वान्‌ एवं समाजिक कार्यकर्ता सभके उचित सम्मान दी... आ हुनकहि सऽ एहि विषयपर राय माँगी?
१०. आ कि आब वास्तविक विद्वान्‌ सभके सही में कमी भऽ गेल??

एखन उपरोक्त १० प्रश्न के जबाबके इन्तजार में छी... वार्ता जेना-जेना आगू बढत... तेना-तेना आरो अनेक प्रश्न उठत, से हम सभ पूछब आ अपन राय-विचार सेहो देब। जिनकर नाम हम लेने छी, हुनका सँ विशेष आग्रह जे आब पाछू टा नहि हटब एहि बहस सऽ। अपन समुचित जबाब आ नियंत्रित विचार अवश्य राखब।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

अपने लोकनिक सेवा में,

प्रवीण चौधरी ‘किशोर’

ईश्वरके स्मरण करैत:

अपन जीवनक सभ अपनहि मालिक, नीक बेजायके राखय ज्ञान!!
छथि भगवान्‌ सभक लेल हरदम, अपनहि नहि माँगथि सम्मान!!

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