मिथिला दहेज मुक्त कोना होयत ?
सामान्यतया घरमें जखन बेटी १८ वर्षके उम्र सँ गुजरि जैछ वा ताहू सऽ बेसी (यदा-कदा कमो...) होवय लगैछ तऽ एक अत्यन्त यथार्थ सोच सभके मस्तिष्क में आबय लगैछ जे आब बेटीके लेल योग्य घर ओ वरके चुनाव करैत कन्यादान करबाक अछि। तहु सऽ पहिने घरमें बेटीके माय बेटीके पिताके खखोरय लगैत छथिन जे हे आबो यदि कतहु बुच्चीलेल सुयोग्...य वरके नहि खोजब तऽ कहिया खोजब... आ एहि प्रकारें शुरु होइछ तकैया। कुटुम्ब आ सम्बन्धीके संग होवय लगैछ वार्तालाप जे कनेक बुचिया लेल कोनो घर-वर देखबैक। ताही क्रममें कोनो योग्य घर-वरके सुझाव आदि सेहो भेटैछ आ चलय लगैछ माथा-पच्ची।
एक बात करू अहाँ गौर यदि,
घरके छथि बनल बोझ बेटी??
प्रकृतिके विडंबना नहि तऽ कि,
पराया घरके लेल बनली बेटी!! :(
खैर - विडंबना सही, लेकिन भार अवश्य बेटी बनैछ अपन जन्म देनिहारि माय-बाप-परिजन पर - अन्य भार नहियो तऽ एतबी जे कोन घर-वर भेटत हिनका लेल। केना के व्यवस्था गानब, केना कि हेतैक, कतेक खर्च करब, केहेन लड़का चाही, अनेको प्रश्न उठैछ हिनक मस्तिष्क में। उद्वेलित हृदय माय-बाप के लेल कोन सहायता बेटी कय सकैत छथि आखिर? ओहो कसमकस में अपन जीवन संगीके लेल सपना देखैत गुमशुम अपन माय-बाप-परिजनके हुनका सदाके लेल पराया बनबैक योजना बनबैत कखनहु नुका के तऽ कखन देवालमें कान सटाय के तऽ कखनहु कोना आ कखनहु कोना... बस अपन मुँह खोलती तऽ केकरा लग... संगी, साथी आ माय-बहिन - हिनके सभ लग अपन किछु विचार प्रकट करैत छथि। बाकी, हिनकर चुप्पी बहुत मार्मिक आ सभ्यताके चाप आ वजन सऽ चापल रहैत छन्हि। यदि ओ अपन विचार खूलिके राखैत छथि तऽ सर-ओ-समाज एक सय उलहन देतन्हि। बेटी चुप छथि मोटामोटी। संसारमें बेटी सभ आब कोनो प्रकार सऽ पाछां नहि छथि, मुदा मिथिलाके बेटी एखनहु अपन सभ्यताके बंधनमें बान्हल छथि। माय-बाप-परिजन एसगरे हिनक भविष्यके लेल व्यग्र छथि। बेटी चाहितो किछु बाजि नहि रहल छथि। जे बजली, हुनका लोकके नजरिमें खसय पड़ैछ। लोक सौ किसिम के हुनका विषयमें अफवाह फैलाबैछ। हलांकि आब किछु प्रतिशत परिवर्तन माँ मैथिलीके भूमि मिथिलामें सेहो देखबा में आबय लागल छैक... लगैछ जे बहुत दिनके दबल ज्वालामूखी फूटय लागल अछि। जे बेटी के इ ज्ञान छन्हि जे जीवन हुनक थिकन्हि आ कोनो निर्णयमें प्रथम अधिकार माता-पिताके समर्पित करितो हुनकर व्यक्तिगत सोच आ सुझाव शामिल रहबाक जरुरी छैक, ओ सभ अपन माता-पिता-परिजन संग खूलिके व्यवहार करैय लागल छथि। एतय तक कि बहुत पढल-लिखल परिवार बेटीके एतेक स्वतन्त्रता देबय लागल छथि जे बेटीके भावना सर्वोपरि, बेटी अपन कैरियर निर्माण के लेल मेहनत करैत आब गामो सऽ बाहर होस्टल आ शहरके अन्यान्य भागमें रहैत अपन जीवनके लेल लड़ाई करैत अपना संग-संग पारिवारिक मान-मर्यादाके रक्षा करैत आगू बढय लगलीह, तखन अपन जीवनसंगीके चुनावमें हुनक अधिकार प्रथम रहबाक चाही। देखू! बाहर सऽ देखलापर इ बात बहुत खींचतान होइत बुझैत छैक। लेकिन वास्तविकता यैह छैक, सभ परिवारमें एहने स्थिति छैक। समूचा मिथिला आब केवल आ केवल एक विन्दुपर अत्यन्त पाछू पड़ि रहल अछि ओ इ जे दहेज प्रथा के दबाव आ घर-वरके चुनाव अत्यन्त जटिल भऽ गेल छैक। पहिले इ निर्णय करय में सहज छलैक - कारण नौकरी के किसिम अधिकांशतः सरकारी छलैक आ बेशक सरकारी नौकरीवाला लड़का के माँग होइत छलैक। तहिना व्यवसायी वा कृषि क्षेत्रमें जेकर उच्च ओहदेदार छवि छलैक ओकरो किछु माँग होइत छलैक। तदोपरान्त लोक अपन चुनाव एहेन वर-घरके करैत छल जाहिमें एक-दोसरके क्षमता आ सामान्य माँगके पूरा करैके औकात आदि विन्दु बनैत छलैक सहायक निर्णय करय में। आब कनेक समस्या छैक। आब, बेटीके शिक्षा आ बेटाके शिक्षामें एक तऽ बहुत अन्तर नहि छैक - दोसर आब लड़काके योग्यता अनुसार विभिन्न प्रकार के नौकरी जाहिमें सरकारी कम आ निजी क्षेत्रमें बेसी रोजगार छैक। जमीन-जथा सेहो आब पहिले जेकां लोक लग नहि छैक। यदि छहियो तऽ ओकर उत्पानशीलतामें ओ दम नहि जे पहिलुका समय में होइत छलैक। तदापि खींचतान रहितो व्यवस्थामें एखन धरि कोनो उद्वेलन छैक से अधिकांशतः नहि छैक। हाँ, उद्वेलन जतय छैक ओतय समाजिक बंधनके तोड़ैत विभिन्न प्रकार के विवाह सभ होवय लागल छैक।
बेटाके लेल वधु के चुनाव सेहो एक मुख्य समस्या छैक आब... लेकिन दहेज के लोभ मनुष्यके विवेकहीन बनबैत छैक। तहू में जे आजुक अर्थ-प्रधान युग छैक, आब न्युनतम व्यवहारके निर्वाह करैक लेल सेहो लाख टाका के जोगार तऽ चाहबे करी। तखन समग्र रूप सऽ देखल जाय तऽ समस्याके निदान जटिल पहाड़ समान ठाड़्ह छैक। एक विद्वान् कहलखिन जे यदि बेटाके सभ संस्कार लोक अपनहि लगानी सँग सम्पन्न करैत छथि, तखन वैवाहिक संस्कार बेर में बेटीवाला पर बेसी भार देवाक कि कारण? कि बेटावाला ताहिमें सक्षम नहि छथि?? छथि। मुदा हुनका ऊपर तऽ बेटीवालाके मजबूरी आ दहेज के लोभ - इ दुनू विन्दु सहायक बनैत इ आश दैत छन्हि जे चल ने भाइ... कियो तऽ एबे करता आ फलां के विवाह सेहो नीके जगह पर हेतैक। लेकिन आब औसतन लड़का सभके उम्र ३० वर्ष भऽ गेलैक अछि - संभवतः केओ कुटुम्ब एथिन आ विवाह के प्रस्ताव देथिन आ एहि बेरका लगन में ओकर विवाह भऽ जेतैक। प्राइवेटमें लड़का एकाउन्टेन्ट अछि, आइटी प्रोफेशनल अछि... नीक दहेज सेहो भेट जेतैक। औसतमें ५ लाख के माँग बनबे करतैक। ;) त्याग के भावना मुश्किल सऽ ५% परिवार में रहैछ। लेकिन आखिर बेटावाला के सेहो बेटी छैक ने... तखन यदि बेटामें पाइ नहि लेथिन तऽ बेटीके विवाहमें कोना के पाइ देथिन...! इत्यादि द्वंद्व सभ जगह छैक। आब??
सर्वविदिते अछि जे आइ-काल्हि बेटीके जन्म सऽ पहिने शान्त करैक लेल सेहो अनेक उपाय आबि गेल छैक आ जनसंख्यामें असंतुलन एकर सभ सऽ पैघ प्रमाण थिकैक। यौ जी! बेटीके जन्म देबय सऽ पहिले यदि योजना सेट भऽ जेतैक तखन आगू माय के बनथिन? डेराउ नहि! बेटीके जन्म लेबय दियौक। सभ अपन भाग्य सऽ अबैत छैक एहि पृथ्वीपर। जेना विश्वंभर जन्म लेबय सऽ पहिने मायके स्तनमें जन्म लेबयवाला बच्चालेल पोषण के इन्तजाम कय दैत छथिन, तहिना आगुओ हुनकहि सनातन सिद्धान्त कार्यरत हेतैक।
चिन्ता कथीके स्वयं ओ पुरारी,
लाचार देखता पठौता सवारी!
लेता खबरि ओ सुनैत देरिया.... :)
आ, दहेज के पैसा कोन काजक?? देखियौ ने! कतेको उदाहरण तऽ सामने अछि। कतेक गोटाके दहेज के पैसा फबैत छन्हि से!! ;) सभटा तऽ जैछ बाजार के दोकान में!! पाइ लेलियैक तऽ आब सोनाके व्यवहार, इ आडंबर, ओ आडंबर... अनेक बात। सभमें शुद्धके समयके महंगाईके मार!! सोलह आनामें सऽ चारि आना तऽ फोकटमें उड़ल। एम्हर बरियाती जेतैक तऽ एकहि रंग के स्कोर्पियो गाड़ी के लाइन जरुर लगबाक चाही। लड़काके दोस्त सब शहर सऽ एतैक तऽ दारू-पानी आ बैण्ड बाजावाला ओ पंजाबी धून पर खूब ढोल पीटतैक तखन ने छौड़ा सभ डांड़्ह लचकायत। घोघटमें कम-दामी साड़ी कोना देबैक! लड़की के कर-कुटुम्ब सभके लेल केहनो कपड़ा देबैक तऽ सेहो नहि हेतैक... ! हरिः ॐ! कतय सऽ पाइ बचत? सभटा गेल बनियां के दोकान में।
परिवर्तन के लेल क्रान्ति - क्रान्ति के लेल बेटी सभ द्वारा कड़ा फैसला - बेटा के द्वारा त्यागके उदाहरण बनौनाइ - आडंबर के समाप्त केनै - समाजमें एक नियम बनेनै जे आब फलां समाजमें दहेज के व्यवहार प्रतिबन्धित अछि। लोक नहि सिर्फ ताहि ठाम अपन सम्बन्ध बनाबैक लेल लालायित हेता बल्कि ओहेन गामके - समाजके खूब नाम आयत। आदर्श समाजके निर्माण लेल दहेज के स्वस्फूर्त विरोध जरुरी। कोनो दाकियानुसी सोच नहि आब!! समस्याके हल्लूक बूझब मूर्खता।
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