एक नज़र सौराठ सभा...
सौराठ : एक परिचय एवम इतिहास
ग्यरह्नवी सदी मे जखन महोम्मद गजनी गुजरात के सोमनथ मन्दिर पर आक्रमन केल ओकरा लुटाइ ला ता ओतुक पन्डित जी सब जे कि मैथिल ब्राह्मण छेला ओ शिवलिन्ग के ला का भगला और ओकर ला का मधुबनी जिला ऎला और जे जगह ओकर स्थपित केला ओकरा सौराठ कहल जाइ छै कारन सोमनाथ सौराष्ट् मे अबै छै ।
किदवन्ति
किछ विद्वान के मानई छैथ जे कि अगर इ बात सच रहितै तखन बाद मे गुजरती सब ऎकर लाइ के प्रयास किया नै केला और ता और सौरठ के ओ सब अप्प्न धार्मिक स्थल नाइ मानला ।
मिथिला मे सभा गाछी के महत्व
अठारह्वी सदी के सुरु होइत देरी मुगल सब के प्रभाव खत्म भेनाइ सुरु भा गेल । मैथिल ब्राह्मण जे कि पिछ्ला किछ दिन स पतन देखला ओ सोचला जे कि किया नाइ इ जगह पर एक टा सभा काल जा , चुन्कि ओ सभा गाछी मे भेल तई दुआरे ओकरा सौराठ सभा गाछी कहल जाइ छै । ओइ मे मैथिल ब्राह्मण मे स विद्वान सब बैसै छेला और
शास्त्रर्थ करै छेला ।
सौराठ मे विवाह
पहिले के समय मे मैथिल ब्राह्मण मे लड्र्की के विवाह १७ स २० वर्ष मे करई के प्राब्धन रहाइ । सह दुआरे मैथिल सब सोचला कि इ मन्च के विवाह के मन्च के रुप मे सुरु काल जा ।
विवाह के तरीका
सौराठ मे लाड्र्का और लड्र्की के विवाह होइ छेलाइ लेकिन मैथिल परमपरा के रुप मे विवाह के चर्चा लड्र्का और लड्र्की के परिवार के बर बुजुर्ग करई छेला । बाद मे सौराठ मे कर्ण क्यास्थ के विवाह सेहो हेबा
लागल लेकिन फ़ेर ओ हेनाइ हाइट गेल और सिर्फ़ ब्राह्मण सब के विवाह हेबा लागल ।
सौराठ के पतन
सौराठ मे सुरु मे नीक एवम सुयोग्य लड्र्क और लड्र्की के विवाह होइ छेला लेकिन फ़ेर ओता दिक्कत अबा लागल । ओइ ठम बुड वर सब के विवाह हेबा लागल जे कि सबस बरका दिक्कत छै । अई सन्ग सन्ग ओता लुल्ह और लान्गर सब के विवाह सेहो हेबा लागल । ऎहेन विवाह बेसी नाइ टिकै छैल तै दुआरे सौराठ सभा गाछी विवाह के महात्वता खत्म भ गेल |
ग्यरह्नवी सदी मे जखन महोम्मद गजनी गुजरात के सोमनथ मन्दिर पर आक्रमन केल ओकरा लुटाइ ला ता ओतुक पन्डित जी सब जे कि मैथिल ब्राह्मण छेला ओ शिवलिन्ग के ला का भगला और ओकर ला का मधुबनी जिला ऎला और जे जगह ओकर स्थपित केला ओकरा सौराठ कहल जाइ छै कारन सोमनाथ सौराष्ट् मे अबै छै ।
किदवन्ति
किछ विद्वान के मानई छैथ जे कि अगर इ बात सच रहितै तखन बाद मे गुजरती सब ऎकर लाइ के प्रयास किया नै केला और ता और सौरठ के ओ सब अप्प्न धार्मिक स्थल नाइ मानला ।
मिथिला मे सभा गाछी के महत्व
अठारह्वी सदी के सुरु होइत देरी मुगल सब के प्रभाव खत्म भेनाइ सुरु भा गेल । मैथिल ब्राह्मण जे कि पिछ्ला किछ दिन स पतन देखला ओ सोचला जे कि किया नाइ इ जगह पर एक टा सभा काल जा , चुन्कि ओ सभा गाछी मे भेल तई दुआरे ओकरा सौराठ सभा गाछी कहल जाइ छै । ओइ मे मैथिल ब्राह्मण मे स विद्वान सब बैसै छेला और
शास्त्रर्थ करै छेला ।
सौराठ मे विवाह
पहिले के समय मे मैथिल ब्राह्मण मे लड्र्की के विवाह १७ स २० वर्ष मे करई के प्राब्धन रहाइ । सह दुआरे मैथिल सब सोचला कि इ मन्च के विवाह के मन्च के रुप मे सुरु काल जा ।
विवाह के तरीका
सौराठ मे लाड्र्का और लड्र्की के विवाह होइ छेलाइ लेकिन मैथिल परमपरा के रुप मे विवाह के चर्चा लड्र्का और लड्र्की के परिवार के बर बुजुर्ग करई छेला । बाद मे सौराठ मे कर्ण क्यास्थ के विवाह सेहो हेबा
लागल लेकिन फ़ेर ओ हेनाइ हाइट गेल और सिर्फ़ ब्राह्मण सब के विवाह हेबा लागल ।
सौराठ के पतन
सौराठ मे सुरु मे नीक एवम सुयोग्य लड्र्क और लड्र्की के विवाह होइ छेला लेकिन फ़ेर ओता दिक्कत अबा लागल । ओइ ठम बुड वर सब के विवाह हेबा लागल जे कि सबस बरका दिक्कत छै । अई सन्ग सन्ग ओता लुल्ह और लान्गर सब के विवाह सेहो हेबा लागल । ऎहेन विवाह बेसी नाइ टिकै छैल तै दुआरे सौराठ सभा गाछी विवाह के महात्वता खत्म भ गेल |
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