सुचना: प्रिय मैथिल बंधूगन, किछ मैथिल बंधू द्वारा सोसिअल नेटवर्क (फेसबुक) पर एक चर्चा उठाओल गेल " यो मैथिल बंधूगन कहिया ई दहेजक महा जालसँ मिथिला मुक्त हेत ?" जकरा मैथिल बंधुगणक बहुत प्रतिसाद मिलल! तहीं सँ प्रेरीत भs कs आय इ जालवृतक निर्माण कएल गेल अछि! सभ मैथिल बंधू सँ अनुरोध अछि, जे इ जालवृत में जोर - शोर सँ भागली, आ सभ मिल सपथ ली जे बिना इ प्रथा के भगेना हम सभ दम नै लेब! जय मैथिली, जय मिथिला,जय मिथिलांचल!
नोट: यो मैथिल बंधुगन आओ सभ मिल एहि मंच पर चर्चा करी जे इ महाजाल सँ मिथिला कोना मुक्त हेत! जागु मैथिल जागु.. अपन विचार - विमर्श एहि जालवृत पर प्रकट करू! संगे हम सभ मैथिल नवयुवक आ नवयुवती सँ अनुरोध करब, जे अहि सबहक प्रयास एहि आन्दोलन के सफलता प्रदान करत! ताहीं लेल अपने सभ सबसँ आगा आओ आ अपन - अपन विचार - विमर्श एहि जालवृत पर राखू....

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

सौराठ सभाके अभियान में अपनेक राय-मशव - प्रवीण चौधरी

बंधुगण!


सौराठ सभाके अभियान में अपनेक राय-मशवरा माँगैके क्रम में कि देखलहुँ जे अपने लोकनि सौराठके सीमा केवल मैथिल ब्राह्मण तक सीमित नहि राखि एकरा विस्तार करय चाहैत छी। जय हो!! अपने लोकनिक हर मंशा माँ मैथिली पूरा करैथ, से हमर प्रार्थना। चूँकि सभागाछीके महत्त्व तऽ आब ब्राह्मणोके नहि अपील करैछ कारण ओहो सभ एनै छोड़ि देलाह आ पुरखाके कीर्तिपर स्वयं तूफान आ बवंडर आनि देलाह, त एहेन में एहि सभाके मोडेलमें विस्तार कनेक असान्दर्भिक बुझैछ... कम से कम एहि साल वा कहु जे एहि बेरक मुहुर्तमें। ताहि हेतु हम अपने सभके समक्ष एहि दोसर थ्रेडके निर्माण करैत किछु प्रश्न राखि रहल छी जाहिपर अपन मत राखल जाउ।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

प्रश्न अछि:

१. कि मैथिल माने खाली मैथिल ब्राह्मण?
२. कि मिथिलामें रहनिहार सभ मैथिल नहि छथि?
३. यदि छथि तऽ एहेन दुष्प्रचार किऐक जे खाली ब्राह्मण टा मैथिल छथि?
४. सौराठ सभा केवल ब्राह्मण हेतु कियैक?
५. कि अन्य वर्ण एहि में अपन हिस्सा नहि चाहलैथ?
६. कि राजा हरसिंह देव जे एहि प्रथाके चलौला, कि ओ ब्राह्मणकेर वर्चस्वके स्वीकार करैत मात्र सौराठ में ब्राह्मण टा के सभा के रूप में स्थापना कयलाह? (सौराठ सनक अनेक एहेन स्थल छैक जतय सभा लगाओल जैत छल, आ ओ सभ सभा केवल ब्राह्मण हेतु छल... हमरा समझ सऽ अन्य जाति के एहि तरहक सभाके औचित्य नहि बुझैत छल - किऐक तऽ जे वैवाहिक विधान ब्राह्मणमें होइछ ततेक तितम्भा अन्य वर्ण में नहि छैक... एखनहु एहि बात के प्रमाण देखय में अबैछ।)
७. मिथिलामें जतय कतौ कोनो समाजिक संरचना के निर्माण भेलैक ताहिमें ब्राह्मणक अग्र भूमिका रहलैक, अन्य जाति केवल अनुसरण करयवाला एवं ब्राह्मणके पाछू चलयवाला रहलैक जेना बुझैछ... तखन पहिले एहेन कोनो विरोध वा विद्रोह नहि भेल छल। जखन कि आब एहि मुद्दापर अनेक तरहक बात उठैछ, एतय तक जे ब्राह्मण जातिके बीच सँ सेहो समावेशीपन के आवाज उठैछ। मिथिलामें रहैत हम आइ धरि इ नहि देखलहुँ जे दलित के नामपर कतहु कोनो प्रकार के विद्रोह वा विरोध आदि भेलैक... छुवाछुत के कारण दलितके बच्चाके स्कूलमें प्रवेश नहि देल गेलैक जे ब्राह्मणके बच्चाके संग ओहो स्कूलमें विद्या अर्जन करत आ से गप ब्राह्मणके मंजूर नहि हेतैक...। हिन्दू-मुसलमान-दलित सभ वर्णके बच्चा एक संग स्कूलमें बोरा बिछा के वा बेन्च-डेस्क प्रयोग करैत बैसल आ भारतीय संविधानके मर्मके रक्षा करैत कम से कम हम अपन जीवनमें देखलियैक आ विश्वास अछि जे एहि तरहक समान नागरिक संहिताके अनुभव अपने लोकनि अवश्य केने होयब। तखन इ पूर्वाग्रही राजनीतिज्ञके वोट बैंक पॅलिसीके शिकार आम जन आ मैथिल किऐक??
८. कर्मकाण्डके कि महत्त्व छैक से बिना आत्मसात केने पुनः वेदके महिमाके झुकाबयवाला विचारके उत्पत्ति किऐक? कि पुनः बुद्धके तोड़ि-मरोड़िके धर्मके नामपर सामाजिक युद्ध के दुस्प्रयास भऽ रहल अछि... जे मिथिला में अनेको बुद्ध-विज्ञ के शास्त्रार्थमें परास्त कयनिहार मिथिलाके अनेको सुप्रसिद्ध विद्वान्‌ भेलाह - हुनकर दूरदृष्टि के मंगनीमें व्यर्थ जाय देबाक चाही? मिथिला अधिकांशतः तांत्रिक भूमि रहल - एकर अपन अनेक अनोखा विद्या रहल, कि ओकरा सभक परित्याग जानि-बूझिके कयल जाय? एक तऽ इ स्वतः गतोष्णमूखी अछि... ताहिपर सऽ मिथिलापुत्र सभ एकरा खीद्दाँश करैत खतम करैक लेल चाहैत छथि, कि इ उचित अछि?
९. हमरा लोकनि जे केओ एहि वाद-विवाद में हिस्सा लऽ रहल छी, अपन श्रेष्ठ के मानैत होयब, हमरा उम्मीद अछि। अपन इतिहास के अवश्य बुझैत होयब हमरा उम्मीद अछि। खाली गप मारब कतेक तक उचित?? यदि गहराई के ज्ञान के कमी अछि, तऽ किऐक नहि हमरा सभके संग देनिहार महान्‌ विद्वान्‌ एवं समाजिक कार्यकर्ता सभके उचित सम्मान दी... आ हुनकहि सऽ एहि विषयपर राय माँगी?
१०. आ कि आब वास्तविक विद्वान्‌ सभके सही में कमी भऽ गेल??

एखन उपरोक्त १० प्रश्न के जबाबके इन्तजार में छी... वार्ता जेना-जेना आगू बढत... तेना-तेना आरो अनेक प्रश्न उठत, से हम सभ पूछब आ अपन राय-विचार सेहो देब। जिनकर नाम हम लेने छी, हुनका सँ विशेष आग्रह जे आब पाछू टा नहि हटब एहि बहस सऽ। अपन समुचित जबाब आ नियंत्रित विचार अवश्य राखब।

जय मैथिली! जय मिथिला!!

अपने लोकनिक सेवा में,

प्रवीण चौधरी ‘किशोर’

ईश्वरके स्मरण करैत:

अपन जीवनक सभ अपनहि मालिक, नीक बेजायके राखय ज्ञान!!
छथि भगवान्‌ सभक लेल हरदम, अपनहि नहि माँगथि सम्मान!!

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