सौराठ सभा कि छी ?? - प्रवीण चौधरी
मैथिल विवाहके सभा छी - जाहिठाम लाखोंके संख्यामें वरागत एवं कन्यागत सभक जुटान होइत छल, आब एहिमें एकदम नगण्य सहभागिता भऽ रहल अछि... एहि जुटानमें पंजिकार सभके माध्यमसँ जोड़ी-मिलान एवं विवाह कार्यक्रमके निश्चित कैल जैत अछि।
एहि में सहभागी सभके कमी कियैक?
पहिले घर-कुटमैतीके माध्यमसँ घटकैती कम एवं सभाके माध्यमसँ बेसी होइत छल, लाखों वर-कन्यापक्षके भीड़ भेलाक कारण पंजिकार द्वारा अपन-रुचि-अनुसार वर-कन्याके जोड़ी मिलान होइत छल। क्रमशः जेना-जेना मिथिलाके लोकमें आर्थिक समृद्धि आयल तहिना-तहिना घर-कुटमैतीके संख्या बढय लागल... पहिले जतय हजारमें ब्यवस्था भऽ जाइत छल ताहिठाम क्रमशः लाखमें बात होवय लागल, जाहि कारण प्रत्येक वरागत पक्षमें लोभके प्रविष्टि भेल एवं एहि तरहें लोक सभागाछी कम आ घर-कुटमैतीके माध्यमसँ बेसी पाइ के लोभमें इ प्रथा में कमी आयल। सभागाछीमें एक कूरीतिके सेहो प्रवेश भेल - पंजिकार द्वारा एवं अन्य बिचौलियाके द्वारा ठकविद्या सेहो प्रवेश करैत लोकके विश्वासमें कमी आनैत गेल एवं एहि तरहें धीरे-धीरे तथाकथित नीक लोक सभके सहभागिता सेहो कम भेल। सरकारी उपेक्षा सेहो एक प्रमुख कारण भेल!
सभागाछी के फेर आवश्यकता किऐक?
आइ जखन मैथिल सभ मात्र अपन पूर्वजके भूमिटापर नहि बास करैत भारत एवं विश्वके अनेक कोनमें पहुँचि गेलाह अछि... कतेक गोटे तऽ सालमें एक बेर गाम अबैत छथि, कतेक गोटे तऽ पाँच साल आ कतेक गोटे तऽ १०-२०-२५ साल सऽ बाहरे छथि... तखन हिनक धिया-पुताके गाममें या मिथिलाके लड़की-लड़का कोना भेटत, ताहि हेतु एक केन्द्र जाहि ठाम निश्चित समयपर फेर पहिले जेकाँ भीड़ लागय एहि हेतु सभा गाछीके आवश्यकता अपरिहार्य बुझैछ।
सभागाछीके आधुनिकता कोना?
आइ कंप्युटरके युग छैक। पंजीकरणके कंप्युटर द्वारा डेटा-प्रोसेसिंग होयबाक चाही एवं सुटेबल मैचके निर्णय सेहो कंप्युटर मैचिंग/सर्चिंग अप्शन आदि द्वारा वेबसाइटके मार्फत उपलब्ध होइक, एवं समयपर हुनका लोकनिक समुचित साक्षात्कार हेतु सभा लगबाक चाही। एहि तरहें बेसी सँ बेसी सहभागिता सेहो होयत आ ठकविद्या आदि सेहो नहि चलत, लोक सभ एक दोसरके बारेमें कंप्युटर द्वारा पहिले सऽ जे जानकारी जुटायत से तऽ हेवे करतै आ सभामें आबि ओकरा प्रत्यक्ष आरो विकल्प सभ भेटतैक।
सामूहिक विवाह आदिके विकल्प सेहो खुलतैक।
सभ जाति हेतु इन्तजाम होयबाक जरुरी छैक।
सरकार द्वारा सेहो एहि प्रथाके प्रोत्साहन भेटतैक।
गरीबी रेखासँ नीचा हेतु सरकारके संग अन्य निजी दान एवं सहयोगके सेहो गुंजाइश बढतैक।
एहि प्रकारें - सम्बन्धित अनेक बात भऽ सकैछ जाहिपर हमर ध्यान नहि पहुँचल होयत, अपने लोकनि सेहो नीक विन्दुपर आरो प्रकाश दऽ सकैत छी... दहेज आदि के सेहो स्वतः विरोध होइ, आदर्श कुटमैती होयत... अपने लोकनि अपन-अपन विचार राखू।
जय मैथिली! जय मिथिला!!
अपनेक विचार पढबाक आश में - प्रवीण चौधरी ‘किशोर’
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें