कारण बताऊ -------की सम्भब्भ अछि जे दहेज़ प्रथा के अपना समाज से उठायल जा सकैत अछि ?
की सम्भब्भ अछि जे दहेज़ प्रथा के अपना समाज से उठायल जा सकैत अछि ?
कारण बताऊ -------
अहि प्रथा के अन्तोगातावा कोनाक हेताय ? जे आगू के जिनगी में जिबैय के कारण बन्तैय
अपन बिचार किछ अहं द सकैत छि ? ----
बहुत बुजुर्ग सब गेलैथी और छैथि ,जे कतेको सस्त आ महाग जिनगी देखलखिन अनुभाभ केलैथि , आ बहुत रास अपन कीर्ति सेहो क गेलायथी, की हुनकर ई जरुरत नै छालें जे अहू के ख़तम का दिय , की हुनक सबके निक लागैत अछि जे आगू के पीढ़ी में हमर बल - बच्चा के की हेतयक , आ नव युबक के त जबाब नै जे , की देखता आ की करता अपन जिनगी में ,
किछ अहै बात पर उलेखय अछि जे से जानू ------
१ . लोग कहैत अछि जे , नव्युबक अगर प्रेम वियाह पर जोर देथिन त ई समस्या के किछ निदान हेतैय
२ . अगर प्रेम वियाह पर धयान देल जय त अहि से मिथिलांचल के संस्कृत पर आंच नै अबैत अछि , जकर कारण अछि जाती प्रथा , एगो वर्ण दोसर वर्ण में वियाह नै क सकैत अछि , ई मिथिला के प्रधानता अछि , अगर प्रेम प्रधानता पर बिचार करी त ई उछित नै , प्रेम जैत और सकल नै देखैत अछि प्रेम अछि त नाम और जैत नै ,
३. अगर दहेज नै लैत छि त हम सब लोग से मजबूर बनल छी ,कारण जे आई के जुग में सब अपन पद प्रतिस्ठा के लेल जीबैत अछि ,
४ . दहेज़ आर्थिक अबस्था पर सेहो प्रभाब करैत अछि , यदि जीतू जी के लग धन्सम्पति अपार छैन , ओ फाला जा के ओहिठाम केना कुटमैती करता , हुनका लग भोजन करैक ले सही बैबस्था नै छैन , ओहीठाम एक दोसर के समाबेस भेनाई बहुत कठिन लागैत अछि , एकर बराबरी होयत दहेज़ से , जे हिनका लग एतेक ओकात छैन ,
४ . एकर जिमेबार के अछि ? हम की अहाँ या कियो और ?
उतर भेटल जे सब कियो --- से केना ? अहाँ बताऊ
कारण बताऊ -------
अहि प्रथा के अन्तोगातावा कोनाक हेताय ? जे आगू के जिनगी में जिबैय के कारण बन्तैय
अपन बिचार किछ अहं द सकैत छि ? ----
बहुत बुजुर्ग सब गेलैथी और छैथि ,जे कतेको सस्त आ महाग जिनगी देखलखिन अनुभाभ केलैथि , आ बहुत रास अपन कीर्ति सेहो क गेलायथी, की हुनकर ई जरुरत नै छालें जे अहू के ख़तम का दिय , की हुनक सबके निक लागैत अछि जे आगू के पीढ़ी में हमर बल - बच्चा के की हेतयक , आ नव युबक के त जबाब नै जे , की देखता आ की करता अपन जिनगी में ,
किछ अहै बात पर उलेखय अछि जे से जानू ------
१ . लोग कहैत अछि जे , नव्युबक अगर प्रेम वियाह पर जोर देथिन त ई समस्या के किछ निदान हेतैय
२ . अगर प्रेम वियाह पर धयान देल जय त अहि से मिथिलांचल के संस्कृत पर आंच नै अबैत अछि , जकर कारण अछि जाती प्रथा , एगो वर्ण दोसर वर्ण में वियाह नै क सकैत अछि , ई मिथिला के प्रधानता अछि , अगर प्रेम प्रधानता पर बिचार करी त ई उछित नै , प्रेम जैत और सकल नै देखैत अछि प्रेम अछि त नाम और जैत नै ,
३. अगर दहेज नै लैत छि त हम सब लोग से मजबूर बनल छी ,कारण जे आई के जुग में सब अपन पद प्रतिस्ठा के लेल जीबैत अछि ,
४ . दहेज़ आर्थिक अबस्था पर सेहो प्रभाब करैत अछि , यदि जीतू जी के लग धन्सम्पति अपार छैन , ओ फाला जा के ओहिठाम केना कुटमैती करता , हुनका लग भोजन करैक ले सही बैबस्था नै छैन , ओहीठाम एक दोसर के समाबेस भेनाई बहुत कठिन लागैत अछि , एकर बराबरी होयत दहेज़ से , जे हिनका लग एतेक ओकात छैन ,
४ . एकर जिमेबार के अछि ? हम की अहाँ या कियो और ?
उतर भेटल जे सब कियो --- से केना ? अहाँ बताऊ
1 टिप्पणियाँ:
मदन जी, दहेज़ मुक्त मिथिला कठिन जरुर आइछ मुदा अशंभव नई, हमार विचार स अगर समाजक पढ़ल लिखल नवयुवक जे अपन जीवन में पूर्ण सफल छैथ, ऊ सब अगर समाज में आगा औत ता ओकर नीक उदहारण समाज में जायत, अई में मिडिया के सहयोग परम आवश्यक, संगही सामाजिक जागरूकता के लेल स्कुल, कोलेज सब में नुकर नाटक, लेखक सब द्वारा व्यंगात्मक लेख, दहेज़ विरोधी चलचित्र जय में दहेल स पिरित लोकक तकलीफ के गहराई स उजागर भेल होई, सामाजिक मानसिकता बदले बाला जतेक रास प्रक्रिया छाई तै पैर गौर करावक जरुरत. देर जरुर लगत मुदा असंभव नई, सुरुवात कतौ ने कतौ स कराहे परत.
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